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ब्रह्म मुहूर्त की ये गलतियां बना देती हैं कंगाल, जानें इस समय का महत्व

वेदों पुराणों सहित ग्रंथो में ब्रह्म मुहूर्त को अत्यंत विशेष व बेहद शुभ बताया गया है। वहीं इस समय को धार्मिक, आध्यात्मिक और मानसिक नजरिये से अति उत्तम माना गया है। वहीं शास्त्रों के अनुसार इस दौरान नींद लेना वर्जित है। निद्रा त्याग के लिए यह समय सर्वोत्तम माना गया है। माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठने से कई विशेष चीजों की प्राप्ति होती है, जिनमें सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य प्रमुख हैं। यह भी माना गया है कि ब्रह्म मुहूर्त से दिनचर्या प्रारंभ करने वाले का पूरा दिन ही अच्छा रहता है। इसका कारण ये है कि समय सकारात्मक ऊर्जा वातावरण में अत्यधिक होती है, ऐसे में ये भी माना जाता है कि इस वक्त किया गया हर कार्य सफलता को प्राप्त करता है।

ब्रह्म मुहूर्त के महत्व को लेकर जानकारों का कहना है कि यह पूरे दिन का सबसे अच्छा समय माना जाता है। पौराणिक काल में ऋषि मुनि ध्यान लगाने के लिए यह समय सबसे सही मानते थे, यहां तक कि आप भी वर्तमान में घर के बुजूर्गों से पूछोगे तो वे भी यहीं कहेंगे कि इस समय पढें जाने वाली बात आसानी से याद हो जाती है। वहीं यह भी माना जाता है कि इस समय ईश्वर की पूजा करने से फल की शीघ्र प्राप्ति होती है।

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यहां तक की ब्रह्म मुहूर्त में ही मंदिरों के पट भी खोल दिए जाते हैं। इस समय की निद्रा को पुराणों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त के पुण्यों का नाश करने वाली माना गया है। ऐसे में इस समय नींद लेने को पूर्ण रूप से निषिद्ध माना गया है। तो चलिए आज जानते हैं कि बह्म मुहूर्त को अत्यंत विशेष क्यों माना गया है। साथ ही इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं…

ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे-
– ब्रह्म मुहूर्त को लेकर यह धार्मिक मान्यता है कि इस समय देवता और पितर हमारे घरों में आते हैं, जिनके आशीर्वाद से हमारे घर की उन्नति होने के साथ ही हम आगे बढ पाते है।
– पूरे वातावरण में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सकारात्मक ऊर्जा भरी रहती है और इस समय निद्रा त्याग देने से यह ऊर्जा हमारे अंदर की ऊर्जा से मिलकर हमारे मन में अच्छे विचार उत्पन्न करती हैं जिसके फलस्वरूप हमारे अंदर उमंग व उत्साह का संचार होता है।
– माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में नींद का त्याग करने वाला व्यक्ति आध्यात्मिक होने के साथ ही हमेशा अपने अंदर खुशी महसूस करता रहता है।

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– ध्यान का अभ्यास, आत्म विश्लेषण और ब्रह्मा ज्ञान के लिए ब्रह्मा मुहूर्त को सबसे उचित समय माना गया है।
– ब्रह्मा मुहूर्त में नींद के त्याग से शरीर में शारीरिक ताकत और सहनशक्ति का बढती है।
– आयुर्वेद में कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सैर करने से हमारे अंदर नई शक्ति का संचार होता है, इसका कारण ये बताया जाता है कि इस समय संजीवन शक्ति युक्त शुद्ध प्राण वायु का सेवन और स्पर्श हमारे शरीर से तो होता ही है, जिसके चलते यह श्वांस के माध्यम से हमारे भीतर तक भी जाती है।
– यह भी माना जाता है कि मनुष्य को अच्छा स्वास्थ्य, बल ,बुद्धि और विद्या की प्राप्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठने या जागने से होती है।
– वहीं मानसिक तनाव, चिंता, अनिद्रा और निराशा जैसी विभिन्न मानसिक बीमारियां भी ब्रह्मा मुहूर्त में जागने से दूर हो जाती हैं।
– ब्रह्म मुहूर्त का समय शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए उपयुक्त माना जाता है ।
– माना जाता है कि ब्रह्मा मुहूर्त में उठने वाले व्यक्ति जीवन में ज्यादा सफलता हासिल करते हैं।
– ब्रह्म मुहूर्त में उठने के साथ ही हथेलियों को जोडकर उन्हें देखते हुए- ऊॅं कराग्रे बसते लक्ष्मी, कर मध्ये सरस्वती। कर मूले तुं गोविंद प्रभाते कर दर्शनम।।- मंत्र का जाप करना विशेष माना जाता है।

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वहीं यदि विज्ञान के मत के अनुसार देखा जाए तो वैज्ञानिकों का भी मानना है कि ब्रह्म मुहूर्त के समय वायुमंडल प्रदूषण रहित होता है, ऐसे में शुद्ध वातावरण में प्राण वायु यानि आक्सीजन का प्रतिशत भी अधिक रहता है।

इसके अलावा यदि धार्मिक मान्यता कि बात करें तो उसके अनुसार इस समय की गई पूजा और प्रार्थना सीधे और जल्द भगवान तक पहुंच जाती हैं, इसी कारण ब्रह्मा मुहूर्त को भगवान की पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।

ब्रह्म मुहूर्त में भूलकर भी न करें ये काम वरना हो जांएगे कंगाल-
– ब्रह्म मुहूर्त में गलती से भी मन में कोई नकारात्मक विचार न लाएं, तभी कहा जाता है कि भोर का सपना जल्द पूरा हो जाता है। क्योंकि इस समय मन में आया विचार या देखा गया सपना पूरे दिन याद रहता है, ऐसे में यह पूरे दिन दिमाग में रहने के चलते नकारात्मक विचार पूरे समय तनाव पैदा करता रहता है।
– ब्रह्म मुहूर्त में किसी भी तरह की खाद्य सामग्री या पेय जैसे चाय आदि को ग्रहण करना वर्जित माना गया है, इसका कारण यह है कि ये समय स्वयं को शुद्ध करने व पूजा पाठ के लिए विशेष माना गया है।
– ब्रह्म मुहूर्त में भूलकर भी किसी का अनादर या किसी से अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।
– इस समयावधि में प्रणय संबंध बनाने से भी बचना चाहिए। उचित होगा कि यह समय आप भगवान की भक्ति में लगाएं।



Source: Dharma & Karma