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Hanuman Chalisa- एक ऐसा पाठ जो दूर करे हर परेशानी

सनातन धर्म में कलयुग के दो प्रमुख देव माने गए हैं, जिनमें से एक श्री गणेशजी हैं तो वहीं दूसरे देव श्रीहनुमान जी हैं। इसके अलावा कलयुग के एकमात्र दृश्य देव आदि पंच देवों में से एक सूर्य माने गए हैं। कलयुग के प्रमुख देवों में से गणेश जी का दिन जहां सप्ताह में बुधवार को माना गया है, वहीं हनुमान जी का दिन मंगलवार और सूर्यदेव का दिन रविवार माना गया है।

ऐसे में यदि आप भी भगवान को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ पर यकीन करते हैं तो आज हम आपको केसरी नंदन हनुमान के एक ऐसे पाठ के बारे में बता रहे हैं, जिसके संबंध में मान्यता है कि शुद्ध मन व समर्पण भाव से इस पाठ को करने वाले को जीवन में किसी प्रकार की परेशानी पेश नहीं आती, यहां तक की किसी प्रकार का जादू टोना हो या विपदा और ग्रहों की बुरी दशा कुछ भी असर नहीं कर पाता। दरअसल आज हम जिस पाठ की बात कर रहे हैं वह संकटमोचक, वायुपुत्र, कृपा निधान, बजरंगबली के श्रीहनुमान चालीसा का पाठ है, तो चलिए आज इस पाठ के महत्व के बारे में जानतेे हैं।

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जानकारों के अनुसार श्रीहनुमान चालीसा पढने का विशेष महत्व माना गया है। आस्था और विश्वास से भरपूर इस पाठ का उपयोग हनुमान जी की भक्ति के लिए किया जाता है। माना जाता है कि श्रीहनुमान चालीसा में वर्णित श्लोकों का नियम धर्म से पाठ करने के अनेक फायदे हो सकते हैं। माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से बजरंगबली के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना जागृत होने के साथ ही हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और आस्था तो बढ़ती ही है साथ ही उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा भी बलवती होती है।

धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार हनुमान चालीसा के पाठ से मन को शांति मिलती होती है। वहीं यदि आप बहुत ज्यादा तनाव में हैं तो भी हनुमान चालीसा का पाठ करने से तनाव में कमी आती है। इसके अतिरिक्त भी यदि आप किसी बात को लेकर अत्यधिक परेशान हैं तो भी कहा जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ न केवल आपकी परेशानी दूर करता है, बल्कि आपके लिए परेशानी से बाहर आने के नए रास्ते का भी निर्माण कर देता हैे।

इसके अलावा मन की चंचलता और चिंताओं से भी हनुमान जी की कृपा से मुक्ति प्राप्त होती है, जिसकी मदद से आप बिना किसी बाधा के अपने कार्य को अच्छे से करने में सक्षम हो पाते हैं। श्रीहनुमान चालीसा के पाठ से आप में विश्वास और स्थिरता में वृद्धि होती है।

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इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि श्रीहनुमान चालीसा का पाठ किसी भी कार्य को पूरा करने का दृढ़ निश्चय पैदा करता है, साथ ही इसकी मदद से आप अच्छे कार्य की ओर जाने लगते हैं।

मान्यता है कि श्रीहनुमान चालीसा का नियमित व पूर्ण श्रृद्धा से पाठ करने वाले व्यक्ति को शक्ति और सामथ्र्य की प्राप्ति होती है, जिसकी मदद से व्यक्ति बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को आसानी से पार करके अधिक सामर्थवान हो जाता है। माना जाता है कि श्रीहनुमान चालीसा का पाठ अद्भुत क्षमता प्रदान करता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति प्रति दिन नियम धर्म से श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। उन्हें मन में शांति तो प्राप्त होती ही है साथ ही उनके अंदर भगवान के प्रति आस्था बढने के अलावा उनके मन से डर व चिंता जैसी स्थितियां स्वतरू ही गायब हो जाती हैं। जिसके चलते व्यक्ति सफलता और कामयाब होने की ओर कदम बढ़ाना शुरु कर देता है, इसका कारण ये माना जाता है कि आस्था बहुत बड़ी चीज होती है जो इसके पाठ से जाग्रत होती है, तो वहीं आस्था से ही जिंदगी आसान होती है। साथ ही मन में शांति के अलावा विश्वास भी जागता है।

जानकारों का यह भी कहना है कि यदि आप हर रोज नहीं तो कम से कम हर मंगलवार या शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। इसका कारण यह है कि ऐसा करने से हनुमान जी की आप पर कृपा बनी रहेगी। इसके साथ ही ये भी उचित होगा कि अपने बच्चों को भी हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए प्रेरित करें।

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ये है हनुमान चालीसा का पाठ-

।। अथ श्री हनुमान चालीसा ।।

।। दोहा ।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥

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।। चौपाई ।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग बंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचन्द्र के काज सँवारे॥

लाय सँजीवनि लखन जियाए। श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। असकहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥

यम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते। कबी कोबिद कहि सकैं कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी शरना। तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनौं लोक हाँक ते काँपे॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै। सोहि अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। असबर दीन्ह जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंत काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो शत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

।। दोहा ।।

पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥



Source: Dharma & Karma