Krishna Janmashtami- अपने सखाओं को श्री कृष्ण ने अरिष्टासुर के क्रोध से बचाया
पौराणिक कथा: बात उस समय की है, जब कृष्ण बालक थे। वह अपने नन्द बाबा की गायों को चराया करते थे। उस समय बाल कृष्ण का मामा कंस हमेशा उन्हें मारने की कोशिश में लगा रहता था। एक बार कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर नाम के एक राक्षस को भेजा। अरिष्टासुर, श्री कृष्ण की शक्ति को जानता था। इसलिए उसने श्री कृष्ण को मारने के लिए अलग तरीका अपनाया। अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप बनाया और गाय के झुंड में शामिल हो गया।
झुंड में शामिल होकर वह कृष्ण को मारने का मौका देखने लगा, जब उसे श्रीकृष्ण पर वार करने का कोई मौका नहीं मिला, तो उसने कृष्ण के साथियों को मारना शुरू कर दिया। जब श्री कृष्ण ने अपने बाल सखाओं की यह हालत देखी, तो उन्हें पता चल गया कि यह किसी राक्षस का काम है। फिर क्या था, भगवान कृष्ण ने बछड़े रूपी अरिष्टासुर की टांग पकड़ कर उसे जमीन पर पटक दिया, जिससे वह मारा गया।
बताया जाता है कि जब राधा रानी को इस घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने कहा, ‘कान्हा तुमने गोहत्या की है, जो घोर पाप है। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए तुम्हें सारे तीर्थों की यात्रा करनी होगी।’
श्री कृष्ण को राधा की बात सही लगी, लेकिन सभी तीर्थों की यात्रा तो संभव नहीं थी। इस समस्या के समाधान के लिए श्री कृष्ण नारद मुनि के पास पहुंचे। नारद मुनि ने कहा,‘आप सब तीर्थों को आदेश दो कि पानी के रूप में आपके पास आएं। फिर आप उस पानी में स्नान कर लेना। इससे आपके ऊपर से गोहत्या का पाप उतर जाएगा।’ कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने ऐसा ही किया, उन्होंने सारे तीर्थों को बृजधाम बुलाया और पानी के रूप में एक कुंड में भर लिया। इस कुंड में स्नान करने के बाद श्री कृष्ण के ऊपर से गोहत्या का पाप उतर गया।
Source: Dharma & Karma