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पीरियड्स में 2-3 माह तक तेज दर्द और हैवी ब्लीडिंग तो डॉक्टर को दिखाएं

ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स में कभी न कभी अलग-अलग तरह के दर्द या डिस्मेनोर्हिया (कै्रम्प) का अनुभव होता है। डिस्मेनोर्हिया में महिला को बेचैनी और पेट में हल्का दर्द होता है खासकर पीरियड शुरू होने वाले दिन। हालांकि, सिर्फ कुछ प्रतिशत महिलाओं में मेंस्ट्रुअल क्रैंप की समस्या इतनी गंभीर होती है कि वह दिनचर्या के भी कार्य नहीं कर पाती।

 

पीरियड्स में दर्द के कारण
इसके मुख्य रूप से दो प्रकार हैं।

प्राइमरी डिस्मेनोर्हिया : उन किशोरियों में यह होता है जिनके हाल ही पीरियड्स शुरू हुए हैं। पीरियड के दौरान, शरीर हार्मोन बनाता है जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है। इससे गर्भाशय की परत को बाहर निकलने में मदद मिलती है। यही मेंस्ट्रुअल क्रैंप जैसा महसूस होता है। कई बार पैर और पीठ दर्द भी हो सकता है। यह पहले या दूसरे दिन ही रहता है।

 

सेकंडरी डिस्मेनोर्हिया: यह ज्यादा आम नहीं है। इसमें दर्द सिर्फ पीरियड की शुरुआत में ही नहीं होता पूरे साइकिल में बना रहता है। हैवी ब्लीडिंग हो सकती या पीरियड लंबा चल सकता है। अगर अचानक से पीरियड्स में दर्द होने लगता है, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

 

दर्द को ऐसे कम करें

कई तरीके हैं जिनसे पीरियड्स में होने वाले दर्द से आराम मिल सकता है और इन्हें घर पर आसानी से किया जा सकता है जैसे-

आराम करें। बाथटब में एसेंशियल ऑयल डालकर आराम से लेटने से दर्द में आराम मिल सकता है।
गर्मी से दर्द में आराम मिल सकता है। गर्म पेन रिलीफ पैड से सिकाई करें। पीठ के नीचे हल्की मालिश करें।
कुछ हल्के पैल्विक व्यायाम करें ताकि रक्त प्रवाह बेहतर होने से आराम मिलेगा। योग-ध्यान भी करें।
जीवनशैली में कुछ बदलाव करें। कैफीन और कोई नशा आदि न लें।
डाइट में फाइबर-प्रोटीन वाली चीजें लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे, मौसमी फल और सलाद खूब खाएं।
डाइट में चीनी-नमक कम खाएं। ऐसी चीजें न खाएं जो जंक और फास्ट फूड की श्रेणी में आते हैं। कैमिकल वाले प्रोडक्टस का उपयोग कम करें।

 

मेडिकल हेल्प कब लें?
आप पीरियड में होने वालेदर्द को कैसे अनुभव करते हैं। तो फिर, आप कैसे निर्धारित करते हैं कि आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए या नहीं? नीचे दिए गए संकेतों से सावधान रहें-
जब कोई घरेलू उपाय कारगर न हो।
दर्द की दवा से कोई आराम न मिले।
अगर दो से तीन महीनों तक लगातार पीरियड के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है और क्रैंप भी बढ़ते हैं।
जब पीरियड्स नहीं होते हैं तब भी आप क्रैंप का अनुभव करती हैं।
पीरियड्स में दर्द शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे कमर, जांघों, घुटनों और पीठ के निचले हिस्से में होने लगता है।
क्रैंप के साथ बुखार भी रहता है।
अपने जीवन में अगर आप पहली बार बहुत ज्यादा मेंस्ट्रुअल कै्रंप का अनुभव कर रही हैं।

 



Source: disease-and-conditions