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Shraddha Paksha- पूर्णिमा से अमावस्या तक 16 तिथियों में श्रद्धालु करेंगे श्राद्धकर्म

Shraddha Paksha : पूर्णिमा के साथ ही आज यानि शुक्रवार से पितृपक्ष पखवाड़े की शुरुआत हो गई है। अश्विन माह का पहला पखवाड़ा पितृपक्ष पखवाड़ा कहलाता है, जो 29 सितम्बर से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान पूर्णिमा से अमावस्या तक श्रद्धालु पितरों के निमित्त श्राद्धकर्म, तर्पण करेंगे और उनकी आत्मशांति के लिए प्रार्थना करेंगे। पितृपक्ष पखवाड़े में पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक जिस तिथि पर जिन पूर्वजों की मृत्यु हुई है, उस तिथि पर श्राद्धकर्म किया जाता है, जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, उनके लिए सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन श्राद्धकर्म, तर्पण किया जाता है। इस दौरान कई जगह ब्राह्मण भोज होंगे। अनेक स्थानों पर ब्राह्मण भोज के लिए अभी से आमंत्रण की बुकिंग हो गई है।

प्रतिपदा, द्वितीया श्राद्ध एकसाथ
पं. विष्णु राजौरिया ने बताया कि इस बार पितृपक्ष 29 सितम्बर से प्रारंभ हो रहे हैं, दूसरे दिन प्रतिपदा और द्वितिया श्राद्ध एकसाथ रहेगा। कुछ पंचांगों में पूर्णिमा, प्रतिपदा श्राद्ध एकसाथ दिया है। पितृपक्ष पखवाड़े में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण, दान पुण्य, पिंडदान आदि करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूरे साल में पितृपक्ष पखवाड़ा पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने के लिए विशेष माना जाता है।

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माना जाता है कि पितृपक्ष पखवाड़े में पितर भूलोक पर रहते हैं इसलिए इस पखवाड़े में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण आदि का विशेष महत्व बताया गया है। पितृपक्ष पखवाड़े में शहर के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालु तर्पण, श्राद्धकर्म करेंगे। शहर के शीतलदास की बगिया, खटलापुरा, गिन्नौरी घाट सहित अन्य स्थानों पर पूरे पखवाड़े में श्रद्धालु तर्पण करने के लिए पहुंचेंगे।

श्राद्धपक्ष में तिथि के हिसाब से श्राद्ध तिथियां-
29 सितम्बर- पूर्णिमा
30 सितंबर- प्रतिपदा व द्वितीया
01 अक्टूबर- तृतीया
02 अक्टूबर- चतुर्थी
03 अक्टूबर- पंचमी
04 अक्टूबर- षष्ठी
05 अक्टूबर- सप्तमी
06 अक्टूबर- अष्टमी
07 अक्टूबर- नवमी
08 अक्टूबर- दशमी
09 अक्टूबर- एकादशी
10 अक्टूबर- द्वादशी
11 अक्टूबर- त्रयोदशी
13 अक्टूबर- चतुर्दशी
14 अक्टूबर- सर्वपितृमोक्ष

 

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पांच प्रकार के ऋण से मिलती है मुक्ति
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम का कहना है कि पितृपक्ष पखवाड़े में पूर्वजों के निमित्त तर्पण, श्राद्धकर्म करने से पांच प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिलती है। इसमें मातृ ऋण, पितृ ऋण अर्थात माता पिता का जो ऋण है, उससे मुक्ति मिलती है। इसी प्रकार देवलोक का ऋण हमारे आराध्य भगवान जिनकी हम पूजा करते हैं, ऋषि ऋण अर्थात जिस ऋषि के गोत्र में हमारा जन्म हुआ है उनके निमित्त भी तर्पण, श्राद्धकर्म करना चाहिए। इसी प्रकार पृथ्वी लोक का ऋण जिस पृथ्वी पर हम रह रहे हैं, उसका भी हम पर ऋण होता है।

ब्राह्मण भोजन के लिए कई तिथियों पर आमंत्रण
पितृपक्ष पखवाड़े के दौरान ब्राह्मण भोजन के लिए अभी से कई तिथियों के लिए बटुकों, पंडितों को आमंत्रण मिल गए हैं। गुफा मंदिर के लेखराज शर्मा कहना है कि पितृपक्ष की कुछ तिथियों के लिए आमंत्रण आए हैं, साथ ही कई लोग यहां आकर भी ब्राह्मण भोज कराते हैं। हमारे यहां लगभग 50 बटुक है।

आदर्श नौ दुर्गा मंदिर में संचालित गुरुकुल के आचार्य और बटुकों को पूरे पखवाड़े के आमंत्रण बुक है। मंदिर के चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि पूरे पखवाड़े के लिए कई यजमानों के आमंत्रण मिले हैं, साथ ही अब भी लोग आ रहे हैं। यहां 15 बटुक और आचार्य है। बताया गया कि इसी प्रकार जगह-जगह ब्राह्मण भोज सहित अन्य आयोजन करेंगे। कई लोग अपने पितरों की स्मृति में गरीब और जरूरतमंदों के लिए दान पुण्य करेंगे।



Source: Dharma & Karma