दर्द की दवा को विकसित करने के लिए एआइ की सहायता से चूहों के व्यवहार का परीक्षण
बेंगलूरु. भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के वैज्ञानिक लोगों के पुराने दर्द (क्रोनिक पेन) के उपचार की दवा खोजने के लिए एआइ की मदद ले रहे हैं। आइआइएससी के वैज्ञानिक चूहों पर परीक्षण कर रहे हैं। परीक्षण के दौरान चूहों के व्यवहार के विश्लेषण के लिए एआइ की मदद ली जा रही है। शोधकर्ताओं ने एआइ की मदद से चूहों के व्यवहार का एक मॉडल तैयार किया है। इससे पता चल सकेगा कि दवाओं से चूहों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। शोधार्थियों ने बताया कि चूहों के व्यवहार से जानकारी मिल सकेगी कि दवाओं से उनका दर्द कम हुआ है या नहीं। चूहों पर प्रयोग सफल होने के बाद दवाओं का लोगों पर प्रयोग किया जा सकेगा। यह अध्ययन हाल ही न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया।
30 प्रतिशत लोग क्रोनिक पेन से पीडि़त
शोधकर्ताओं के मुताबिक तीन माह से अधिक समय और बार-बार होने वाले दर्द को क्रोनिक पेन की श्रेणी में रखा जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक क्रोनिक पेन दुनिया में विकलांगता का प्रमुख कारण है। दुनिया में 30 प्रतिशत से अधिक लोग पुराने दर्द से प्रभावित हैं।
न्यूरोन में बदलाव
शोधकर्ताओं के मुताबिक शरीर में दर्द को बताने के लिए मस्तिष्क में न्यूरोन होते हैं। नई दवा दर्द को बताने वाले न्यूरोन में परिवर्तन करेगी। इससे दर्द का अहसास नहीं होगा।
Source: disease-and-conditions