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Chaturdashi Ka Shradh: पितृपक्ष की चतुर्दशी होती है बेहद खास, इस दिन होता है सिर्फ इन लोगों का श्राद्ध

इनका करें चतुर्दशी पर श्राद्ध
पुरोहितों के अनुसार चतुर्दशी श्राद्ध तिथि केवल उन मृतकों के श्राद्ध के लिए उपयुक्त होती है, जिनकी मृत्यु किन्हीं विशेष और असामान्य परिस्थिति में हुई हो या जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति की मृत्यु हथियार से हुई हो, दुर्घटना में हुई हो, उसने आत्महत्या की हो या किसी अन्य द्वारा उसकी हत्या की गई हो। इन्हीं का श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्दशी को होगा, इनके अतिरिक्त चतुर्दशी तिथि पर किसी अन्य का श्राद्ध नहीं किया जाता है।

चतुर्दशी तिथि पर मरे व्यक्ति का श्राद्ध इस दिन
सामान्य परिस्थितियों में जिनका निधन चतुर्दशी तिथि को हुआ है, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जाता है। इसे के कारण चतुर्दशी श्राद्ध को घट चतुर्दशी श्राद्ध, घायल चतुर्दशी श्राद्ध और चौदस श्राद्ध के नाम से जाना जाता है।

किस समय करें श्राद्ध
धर्म ग्रंथों के अनुसार पितृ पक्ष श्राद्ध पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गए हैं। हालांकि अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान संपन्न कर लेना चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।

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कब है चतुर्दशी और चतुर्दशी श्राद्ध का समय
पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि की शुरुआत गुरुवार 12 अक्टूबर 2023 को रात 07:53 बजे हो रही है और यह तिथि शुक्रवार 13 अक्टूबर 2023 को रात 09:50 बजे संपन्न हो रही है। इसलिए चतुर्दशी यानी मासिक शिवरात्रि 13 अक्टूबर को मानी जाएगी। इस दिन इन मुहूर्तों में करना चाहिए चौदस श्राद्ध..

कुतुप मूहूर्तः सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
रौहिण मूहूर्तः दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 01:17 बजे तक
अपराह्न कालः दोपहर 01:17 बजे से दोपहर 03:37 बजे तक

शिवरात्रि पर शुभ योग
ब्रह्म: सुबह 10:06 बजे तक
इंद्र योगः पूरे दिन

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नियम तोड़ने पर संतान को होता है कष्ट
महाभारत और कूर्मपुराण के अनुसार चतुर्दशी तिथि पर स्वाभाविक रूप से मरने वालों का श्राद्ध करने से संतान को भविष्य में कई आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या पर किया जाता है। इस संबंध में महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था। पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा था कि जो लोग आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को तिथि जिन लोगों की स्वाभाविक मृत्यु न हुई हो सिर्फ उन्हीं का श्राद्ध करना चाहिए वर्ना संतान को कष्ट होता है।



Source: Dharma & Karma