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Pitru Paksh : सर्व पितृ अमावस्या पर करें ये उपाय, पितरों को मिलेगा मोक्ष और आपको दोष-शोक से मुक्ति

कब है सर्व पितृ अमावस्या
पंचांग के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या की शुरुआत 13 अक्टूबर रात 9.53 बजे से हो रही है और यह तिथि 14 अक्टूबर शनिवार रात 11.27 बजे संपन्न हो जाएगी। इसलिए उदया तिथि में 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी। इसके अलावा यह अमावस्या शनिवार को है, इसलिए यह अमावस्या शनिश्चरी अमावस्या भी है।

इस बार खास है सर्व पितृ अमावस्या
धर्म ग्रंथों के अनुसार इस बार सर्व पितृ अमावस्या बेहद खास है। यह अमावस्या शनिवार को पड़ रही है, यानी की यह शनिश्चरी अमावस्या है। इससे इस दिन श्राद्ध तर्पण दान करने वालों पर शनि देव की कृपा होगी। इसके अलावा सर्व पितृ अमावस्या के दिन बुधादित्य योग भी है, जिससे जातकों को सकारात्मक फल मिलेंगे।

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार अश्विन अमावस्या यानी सर्व पितृ अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। इसलिए इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या और महालय विसर्जन भी कहते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं।

इसलिए यदि कोई व्यक्ति पहले श्राद्ध पक्ष में पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाया है तो उसे इस शनिश्चरी अमावस्या यानी पितृ पक्ष अमावस्या को श्राद्ध-तर्पण जरूर करना चाहिए। इसी के साथ मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के आसान उपाय हैं, जिसे करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और उसके फल से दोष-शोक से मुक्त हो जाएंगे।

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रात में तांत्रिक करेंगे विशिष्ट साधना
इसके अलावा इस अमावस्या का तांत्रिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व होता है। अश्विन अमावस्या की समाप्ति पर अगले दिन से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तांत्रिक साधनाएं करते हैं।

सर्व पितृ अमावस्या पर जरूर करें यह काम
1. अश्विन अमावस्या के दिन व्रत और धार्मिक कर्म करने चाहिए।
2. इस दिन पितृ पक्ष समाप्त होते हैं, इसलिए इस दिन पितरों का पूजन जरूर करें।
3. इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।

4. सर्व पितृ अमावस्या पर संध्या के समय दीपक जलाएं और पूड़ी व अन्य मिष्ठान दरवाजे पर रखें। ऐसा इसलिए करना चाहिए जिससे पितृगण भूखे न जाएं और दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाएं।
5. यदि किसी वजह से आपको अपने पितृ के श्राद्ध की तिथि याद न हो तो इस दिन उनका श्राद्ध करें।
6. यदि आप पूरे श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाए हैं तो इस दिन पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
7. इस दिन भूले-भटके पितरों के नाम से किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।

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शनि दोष से मुक्ति का उपाय
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में शनि दोष है तो इससे छुटकारे के लिए उसे अमावस्या के दिन शनि से जुड़ी वस्तुओं यानी काली वस्तुओं जैसे काले कपड़े, काले जूते आदि का दान करना चाहिए। इसके साथ ही कुत्ते को तेल लगी यानी तेल से चुपड़ी रोटी खिलाने से भी शनि के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है।

शनि के साथ पितृ दोष से राहत के उपाय
हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए पीपल के पेड़ का विशेष महत्व होता है। इसमें देवताओं का वास माना जाता है। ऐसे में अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं और शाम को सरसों के तेल का दीपक वृक्ष के पास जलाएं। इस उपाय को करने से पितर प्रसन्न होते हैं , इसी के साथ शनि दोष से भी राहत मिलती है।