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Kanya Pujan : कब है महाष्टमी, कन्या पूजन में बालक की क्यों होती है पूजा, जानें पूजा विधि और मुहूर्त

कन्या पूजा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन (Kanya Pujan Navratri) का महत्व जप-तप से भी अधिक होता है। इसी को देखते हुए कुछ ग्रंथों में नवरात्रि में पूजा से पहले भी कन्या पूजन की सलाह दी गई है। लेकिन ऐसा नहीं कर पाते तो अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं को माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप मानकर एक लांगुरिया (छोटा लड़का) के साथ पूजा करने का विधान (Kanya Puja Vidhi) बताया गया है। इसलिए शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करना चाहिए।
मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से सुख समृद्धि आती है। देवी पुराण के अनुसार इससे मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं। देवी इससे ग्रह दोष भी दूर होता है।

इसलिए होती है बालक की पूजा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के वैराग्य को खत्म करने के लिए जब भगवान विष्णु ने माता सती के शव को सुदर्शन से काटा तो उसके हिस्से जगह-जगह गिरे और शक्तिपीठ बन गए। इन स्थानों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने भैरव की नियुक्ति की थी। इसलिए माना जाता है कि नव दुर्गा पूजा के दौरान कन्या पूजन के समय एक बालक की भी पूजा की जाय।

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कुछ लोग महाष्टमी तो कुछ महानवमी को करेंगे कन्या पूजा
नवरात्रि में कन्या पूजा महाष्टमी और महानवमी दोनों दिन की जा सकती है। कुछ लोग महाष्टमी तो कुछ लोग महानवमी को पूजा करेंगे।

महा अष्टमी पर कन्या पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष अष्टमी 21 अक्टूबर रात 9.53 बजे से हो रही है और 22 अक्टूबर रात 7.58 बजे संपन्न हो रही। इसलिए उदया तिथि में महाष्टमी 22 अक्टूबर को मानी जाएगी।

अष्टमी पर कन्या पूजन
अष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7.51 बजे से सुबह 9.16 बजे तक और उसके बाद सुबह 9.16 बजे से सुबह 10.41 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्त में कन्या पूजन सबसे अच्छा है। वहीं, 22 अक्टूबर को सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसका समय सुबह 6.26 बजे से शाम 6.44 बजे तक है। इस योग में भी कन्या पूजन करना अच्छा माना जाता है।

महानवमी पर कन्या पूजन
नवरात्रि की नवमी को महानवमी के नाम से जानते हैं। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। इस बार नवमी तिथि 23 अक्टूबर सोमवार के दिन पड़ रही है। पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 22 अक्टूबर को शाम 7.58 बजे से 23 अक्टूबर को शाम 5.44 बजे तक है।

महानवमी कन्या पूजन मुहूर्त
23 अक्टूबर को कन्या पूजन मुहूर्त सुबह 6.27 बजे से सुबह 7.51 बजे तक है। इसके बाद कन्या पूजन सुबह 9.16 बजे से सुबह 10.41 बजे तक है। इस दिन अन्य पूजन मुहूर्त दोपहर 1.30 बजे से दोपहर 2. 55 बजे तक है और उसके बाद कन्या पूजन मुहूर्त दोपहर 2.55 बजे से दोपहर 4.19 बजे तक है।

नवरात्रि में कन्या पूजन विधि
प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए नीचे लिखी विधि अपनानी चाहिए।
1. अष्टमी के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठें और स्नान ध्यान कर भगवान गणेश, माता जगदंबा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करें।
2. कन्या पूजा के लिए दो साल से दस साल की लड़कियों को आमंत्रित करें।
3. सभी कन्याओं के पैर धोएं, रोली, कुमकुम, टीका, अक्षत लगाकर उन्हें मौली बांधें और उनका स्वागत करें।
4. अब कन्याओं और बालक की आरती उतारें। साथ ही यथाशक्ति उनको द्रव्य अर्पित कर प्रसन्न करें।
5. सभी को पूड़ी, चना और हलवा खाने के लिए दें।
6. यथा शक्ति भेंट वगैरह दें।
7. मां की स्तुति करते हुए गलती के लिए क्षमा मांगें, कन्याओं और बालक का पैर छुएं, उनका आशीर्वाद लें।