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क्या आप जानते हैं, ये धुंए के बादल कितने खतरनाक हैं?

स्मॉग में खतरनाक सल्फर डाईऑक्साइड, बेन्जीन सहित कई गैसें होती हैं। इससे पहले दुनिया के कई शहरों में स्मॉग से मेडिकल इमर्जेंसी तक लग चुकी है। इनमें बीजिंग, लॉस एंजिलस, तेहरान और भारत में नई दिल्ली व एनसीआर जैसे शहर प्रमुख हैं।
क्यों आई ऐसी नौबत
नई दिल्ली में हाल ही वायु प्रदूषण अधिक होने की वजह से मेडिकल इमर्जेंसी लगाई गई है। दीवाली पर पटाखों से कई राज्यों में वायु प्रदूषण कई गुना बढ़ गया है। वाहन, खुले में जलने वाला कूड़ा, कारखाने भी इसकी प्रमुख वजह हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में 92% आबादी को सांस लेने के लिए साफ हवा नहीं है।
जानिए क्या है वायु गुणवत्ता (एक्यूआइ)
हवा में जहरीले तत्वों से एयर क्वॉलिटी इंडेक्स का स्तर गिरता है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से कम को सामान्य माना जाता है। 150 से ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक चिंताजनक श्रेणी में आता है। 250 से ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक मेडिकल इमरजेंसी की श्रेणी में आता है। स्मॉग हवा में तैरता रहता है और जहरीले कणों को ट्रांसफर करता है।
स्मॉग से ये दिक्कतें होतीं
स्मॉग की वजह से त्वचा व आंखों में खुजली, आंखों में पानी आने की समस्या होती है। सांस भरने लगती है। सांस नली में खुजली और खांसी की समस्या बढ़ती है। आठ साल से कम और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को खतरा ज्यादा होता है। सीओपीडी, अस्थमा व कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इससे मरीजों में अस्थमा के अटैक हो सकते हैं। मरीज की तबियत भी बिगड़ सकती है। थकान लगना, सिर दर्द, एनर्जी में कमी और घबराहट बढ़ती है। हार्ट व डायबिटीज के मरीजों को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं व प्रसूताओं को ज्यादा सावधानी की जरूरत है।

स्मॉग से ऐसे कर सकते हैं बचाव
मॉर्निंग वॉक और एक्सरसाइज के लिए बाहर निकलने से बचें। इस दौरान दौड़ना, साइकिल चलाना, टहलना आदि कम करें। घर में एयर प्यूरीफाई करने वाले पौधें तुलसी आदि लगाएं। आवश्यक होने पर मास्क एन—95 लगाकर ही बाहर निकलें।

खानपान में इन चीजों का रखें ध्यान
खूब पानी पीएं, जितना हाइड्रेटेड रहेंगे उतना ज्यादा फायदेमंद होगा। प्रदूषणजनित रोगों से बचने के लिए विटमिन-सी, ई युक्त चीजें खूब लें। यह फेफड़ों और श्वसन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है। संतरे, अमरूद, कीवी, नींबू को खानपान में खूब शामिल करें। ब्रोकली शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है। ग्रीन-टी में एंटी-ऑक्सिडेंट्स विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं। बच्चों की स्कूल में आउटडोर एक्टिविटी पूरी तरह से बंद कर दें।

वायु प्रदूषण पर क्या कहती है रिसर्च
तय मानक से अधिक वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं। कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका भी बढ़ती है। एक शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण व्यक्ति की उम्र 5.3 वर्ष घट रही है। वायु प्रदूषण सांस के साथ फेफड़ों में भी नुकसान पहुंचाता है।

एक्सपर्ट : डॉ. नरेंद्र खिप्पल, सीनियर चेस्ट फिजिशियन, जयपुर

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Source: Health