MP Election 2023 : आष्टा में बगावत, रघुनाथ का टिकट काटकर कांग्रेस से आए गोपाल सिंह को दिया
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले की चार विधानसभा सीट में से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट आष्टा में भाजपा उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष गोपाल सिंह का पहले दिन से ही जबरदस्त विरोध हो रहा है। कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद भी संगठन के उम्मीदवार नहीं बदलने के कारण पार्टी में बगावत शुरू हो गई है।
शुक्रवार को टिकट के दावेदार कैलाश बगाना ने नामांकन फार्म दाखिल किया। बगाना ने नामांकन फार्म में खुद को भाजपा का उम्मीदवार लिखा है। नामांकन दाखिल करने के बाद मीडिया के सामने बगाना ने यह भी दावा किया कि जल्द ही आष्टा में भाजपा टिकट बदलने की घोषणा करेगी। पूर्व जिला अध्यक्ष ललित नागौरी ने दावा किया है कि भाजपा से गोपाल सिंह नहीं, कैलाश बगाना चुनाव लड़ेगे। नामांकन दाखिल करने बगाना एक हजार से ज्यादा समर्थकों के साथ तहसील कार्यालय पहुंचे थे, उनके साथ कई वरिष्ठ भाजपा नेता थे। विधायक रघुनाथ मालवीय का टिकट काटकर गोपाल सिंह को दिया गया है, विधायक मालवीय भी खुलकर प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं।
रघुनाथ सिंह और गोपाल सिंह के बीच टकराव मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह के हस्तक्षेप के बाद भी दूर नहीं हो सका है। बीते 23 अक्टूबर को मुख्यमंत्री इछावर विधानसभा के दिवड़िया में जनसभा को संबोधित करने आए थे। यहां गोपाल सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए पुष्पहार लेकर मंच पर स्वागत करने पहुंचे, तो मुख्यमंत्री ने गोपाल सिंह से खुद माला पहनने के बजाय रघुनाथ मालवीय को आगे किया, गोपाल ङ्क्षसह और रघुनाथ मालवीय को मंच पर ही सबके सामने गले मिलवाया, लेकिन रघुनाथ मालवीय अभी भी भाजपा उम्मीदवार गोपाल सिंह के खिलाफ मैदान में डटे हुए हैं। संगठन के नेता निरंतर डैमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं, लेकिन मामला संभल नहीं रहा है।
एक नवंबर से आष्टा में संगठन के नेता संभालेंगे मोर्चा
शुक्रवार को नामांकन दाखिल करते हुए कैलाश बगाना और पूर्व जिला अध्यक्ष ललित नागौरी ने टिकट बदलने का दावा किया है, लेकिन यह दावा अभी सिर्फ हवा हवाई ही दिख रहा है। भाजपा संगठन का आष्टा में टिकट बदलने को लेकर अभी कोई इरादा नहीं हैं। हां, संगठन यहां उम्मीदवार के विरोध को लेकर चिंतित जरूर है, जिसे लेकर एक नवंबर से कई संगठन के वरिष्ठ नेता आष्टा में डेरा डालेंगे। 30 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुदनी से नामांकन फार्म जमा करेंगे, इसके बाद यहां से एक प्रमुख टीम सीधे आष्टा पहुंचेगी और सभी नाराज गुटों को साधने की कवायद की जाएगी। बताया जा रहा है कि इस बार हाईकमान ने आष्टा और इछावर विधानसभा को अपनी प्राथमिकता में रखा है, जहां भाजपा की कांग्रेस के साथ सीधे टक्कर है।
अंदर की कहानी : सांसद ने पीछे खींचे कदम, उसी का गोपाल को मिला फायदा
गोपाल सिंह एक साल पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। भाजपा में आते ही सामान्य सीट पर संगठन ने इन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया। आष्टा से भाजपा में टिकट के लिए विधायक रघुनाथ मालवीय, पूर्व विधायक रंजीत सिंह गुणवान के पोते सोनू गुणवान, कैलाश बगाना प्रमुख दावेदार थे। भाजपा टिकट की घोषणा करती उससे पहले ही गोपाल सिंह ने भी दावेदारी शुरु कर दी।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक संगठन ने जो सर्वे कराया, उसमें एंटी-इनकंबेंसी कुछ ज्यादा होने की बात सामने आई। संगठन कुछ तय कर पाता उससे पहले कांग्रेस ने मालवीय (बलाई) समाज के कमल सिंह चौहान को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद भाजपा ने जब बलाई समाज के दावेदार सोनू गुणवान पर विचार किया तो वह संगठन के पैरामीटर में कुछ कमजोर दिखे, जिसे लेकर वरिष्ठ नेतृत्व ने तय किया कि शाजापुर सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी आष्टा से चुनाव लड़ेगे। संगठन सांसद के नाम की घोषणा करता उससे पहले ही उन्होंने हाईकमान से संपर्क किया और चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और जब संगठन ने राय मांगी तो गोपाल सिंह का नाम आगे कर दिया, जिसका अब कार्यकर्ताओं में जबरदस्त विरोध हैं। गोपाल सिंह सांसद सोलंकी की पसंद के उम्मीदवार हैं, जिसे लेकर वह सभी नाराज नेताओं से मिलकर उन्हें साधने की कवायद में जुट हैं, लेकिन अभी स्थिति डैमेज कंट्रोल से बाहर ही है।
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