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Karwa Chauth Rules: करवा चौथ व्रत में जान लें क्या करें और क्या न करें

1. करवा चौथ व्रत के दिन सफेद रंग की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
2. केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही ये व्रत रख सकती हैं। हालांकि पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति भी ये व्रत रख सकते हैं।
3. करवा चौथ के दिन किसी भी प्रकार का क्रोध न करें और न ही गृह क्लेश करें।
4. करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है। हालांकि उससे पहले कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक निर्जला व्रत रखते हैं। चंद्र दर्शन के बाद इस व्रत का पारण करते हैं। हालांकि कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो जल पी सकते हैं।

5. करवा चौथ व्रत में मिट्टी के करवे से पूजा की जाती है। करवा चौथ की पूजा में करवा माता के साथ भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय और नंदी की पूजा की जाती है।
6. शाम को चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पहले शिव-परिवार यानी शिव-पार्वती, गणेश-कार्तिकेय और नंदी की पूजा की जाती है। इसके अलावा चंद्रदेव की पूजा करना भी जरूरी है।
7. पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुंह पश्चिम की ओर होना चाहिए और महिला को पूर्व की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। इस व्रत के दौरान महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए, लाल या पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए। काले रंग के वस्त्र इस दिन नहीं पहनने चाहिए।
8. इस व्रत में कहीं सरगी खाने का रिवाज है, तो कहीं नहीं है। अत: अपनी परंपरा के अनुसार ही व्रत रखें। सरगी व्रत के शुरू में सुबह दी जाती है। एक तरह से यह आपको व्रत के लिए दिनभर ऊर्जा प्रदान करती है।

9. मान्यता है कि करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि आती है और संतान सुख मिलता है। इसलिए इस दिन कथा सुनना जरूरी है।
10. करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ रखें। इस दिन कहानी सुनने के बाद बहुओं को अपनी सास को बायना देना चाहिए।
11. चंद्रमा का उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को, इसके बाद पति अपनी पत्नियों को लोटे में से जल पिलाकर उनका व्रत पूरा करवाते हैं। कुआंरी लड़कियां चंद्रमा की जगह तारों को देखती हैं।



Source: Religion and Spirituality