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सर्दी में बीमार पड़ने से बचने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

गर्मी-बरसात के मौसम में शरीर में वात दोष बढ़ जाता, ठंडक में इससे ही दिक्कत होती हैै।

अब ग्रीष्म बीत चुकी है और नवरात्र के बाद शरद शुरू हो जाएगी। ग्रीष्म और वर्षा ऋतुओं में शरीर में वात दोष का संचय हो जाता है। इसके कारण ही सर्दी में जोड़ों में दर्द, मौसमी बीमारियों का प्रकोप आदि की आशंका रहती है। ऐसे में अभी से कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो सर्दी में भी सेहतमंत रह सकेंगे।

4 बजे से 5:30 बजे (सुबह) उठना सबसे अच्छा होता है। यही समय ब्रह्म-मुहूर्त होता है।

8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है। इसके लिए रात 9-10 बजे तक अनिवार्य रूप से सो जाएं।

ज्यादा मीठी चीजों से करें परहेज
फेस्टिवल सीजन में ज्यादा मीठा जैसे खीर, मालपुए आदि दूसरी मीठी चीजें ज्यादा बनती हैं। ये सभी आयुर्वेद के अनुसार ही तय हैं। ये मीठी चीजें खाने से शरीर में वायु दोष बढ़ जाता है, ताकि उसकी पहचानकर उसे शरीर से निकाला जा सके।

रूपचौदस से शुरुआत
रूपचौदस से ही शरीर की तेल से मालिश शुरू कर देनी चाहिए। इससे शरीर में वायु घटती और ऊर्जा बढ़ती है। पेट की अग्नि भी बढ़ती है। इसमें हर उम्र के लोगों को रोजाना तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए।

डॉ. ओपी दाधीच, वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ, जयपुर

– जोड़ों में दर्द है तो अभी से यह शुरू करें
– रोजाना एक चम्मच दानामेथी अभी से खाना शुरू कर दें।
– दानामेथी खाली पेट सुबह गुनगुने पानी से लें।
– एक मु_ी सहजन की पत्तियों को उबालकर आधा रहने पर उसका काढ़ा पीएं।
– अश्वगंधा, नागर मोथा और
– सोंठ का चूर्ण बनाकर एक चम्मच रोज लें।
– चतुर्बीज भी पंसारी की दुकान से लेकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम लें।

मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए
– रोज गिलोय का काढ़ा पीना शुरू करें। इसके लिए 50 ग्राम कच्चा या 10 ग्राम सूखे गिलोय को उबालकर आधा होने पर गुनगुना ही पीएं।
– एलर्जी से बचाव के लिए कच्ची हल्दी को दूध में पीपली के साथ उबालें और गुड़ के साथ गुनगुना
ही पीएं।
– सुबह 3-4 कालीमिर्च को गुड़ के साथ रोज लेना शुरू करें।
– अभी से लौंग का पानी पीना शुरू कर दें।

पेट संबंधी दिक्कतों में करें इनका सेवन
– सौंफ, सोंठ और मिश्री को मिलाकर रोज एक-एक चम्मच लेना शुरू करें।
– जिन्हें भूख कम लगती है, उन्हें आधा नींबू पर कालीमिर्च पाउडर सेंधा नमक के साथ गर्म कर चूसें।
– जिन्हें कोलेस्ट्रॉल की समस्या है त्रिकटु भी नींबू के साथ दें। अनार आदि भी खाएं।
– नींबू का सेवन मुंह के जायके में भी सुधार करता है। इसे नींबू पानी व सेंधा नमक मिलाकर ले सकते हैं।

– दोपहर एक बजे के आसपास लंच करें। सूर्य सबसे तेज होता है। ऊर्जा की जरूरत होती है

शरीर शुद्धि के तीन तरीके

विरेचन : इसमें दस्त के माध्यम से शरीर में मौजूद दोषों को दूर किया जाता है। इसके लिए सबसे उपयुक्त समय श्राद्धपक्ष होता है। इसके लिए आयुर्वेदिक औषधियों की भी मदद ले सकते हैं।

लंघन : नवरात्र शुरू होते ही 8 से 15 दिन तक लंघन प्रक्रिया अपना सकते हैं। इनमें रागी, कोदो, साबुतदाना, उबली सब्जियां, मौसमी फल, सूखे मेवे जैसे अंजीर, मुनक्का अधिक खाएं। कालीमिर्च व सेंधा नमक भी खाने चाहिए। ये पेट की अग्नि बढ़ाकर शरीर को सर्दी के लिए तैयार करते हैं। हल्का खाना खाएं। विरेचन के बाद लंघन से पेट को आराम मिलता है। वात, नाभि से जुड़े अंगों में ही संचित होता है।

वृहंगन: इसमें पौष्टिक खाने
की शुरुआत करने का समय है। इसकी शुरुआत दशहरे से या दीपावली तक कर सकते हैं। इस दौरान उन चीजों को अधिक खाना चाहिए, जो पेट की अग्नि को बढ़ाते हैं और शरीर को बल मिलता है। इनमें मोठ, मूंग, बाजरा, मक्का आदि शामिल किए जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान खीर, मालपुए, लापसी, सर्दी के लड्डू आदि भी खाना शुरू कर देना चाहिए।

शुगर ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, जोड़ों से जुड़े अधिकतर रोग आदि ऐसे हैं जिनको अपनी दिनचर्या और ऋतुचर्या में सुधार कर इनके होने की प्रवृति को कम किया जा सकता है।



Source: Health

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