अमरीका में नवजात शिशुओं में तेजी से फैल रहा है ये संक्रमण, जानिए इंडिया के लिए कितना खतरनाक
सिफलिस संक्रमण यौन संपर्क से फैलता है, ऐसे में यदि यह जन्मजात शिशुओं में फैल रहा है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि कोई गर्भवती महिला संक्रमित हैं, तो हो सकता है उसका भ्रूण जन्म से पहले ही संक्रमित जो जाए। ऐसा सिर्फ उसी स्थिति में होगा जब इसके बैक्टीरिया गर्भनाल को पार कर जाए। वहीं यदि गर्भवती महिला का समय रहते टेस्ट करवा लिया जाए तो 10 में से नौ मामलों में बीमारी को समय रहते रोका जा सकता है। भारत में इस तरह के मामले देखने में आए हैं, ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सिफलिस की जांच करवानी चाहिए।
बना रहता है ये खतरा
सिफलिस संक्रमित महिलाओं में गर्भपात, शिशु की जान को खतरा या गर्भावस्था के दौरान कई तरह की जटिलताएं देखने को मिलती है। यह बैक्टीरिया से फैलता है, कई बार शिशुओं में कोई लक्षण नहीं होते है, लेकिन इसका टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। साथ ही गर्भवती महिला की स्क्रीनिंग भी जरूरी है।
बच्चों में ये लक्षण
बच्चों में इसके लक्षण जन्म से लेकर तीन महीने के भीतर दिखने लगते हैं। इस दौरान हथेलियों और तलवों पर बड़े फफोले या छाला विकसित होना। नाक और मुंह के आसपास और डायपर के संपर्क में आने वाली जगह में गांठ बन सकती है। हो सकता है नवजात शिशु का ठीक से विकास ना हो। नाक से म्यूकस, मवाद या खून बह सकता है। कभी-कभी आंखों या मस्तिष्क में सूजन, सीज़र्स, मेनिनजाइटिस या बौद्धिक विकलांगता भी हो सकती है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Source: Health