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Utpanna Ekadashi 2023: शुभ योगों में उत्पन्ना एकादशी व्रत पर तारीख पर दो मत, जानिए डेट, पारण समय और कारण

कब है उत्पन्ना एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी की शुरुआत 8 दिसंबर सुबह 8.36 बजे से हो रही है और यह तिथि 9 दिसंबर को सुबह 10.01 बजे तक है। लेकिन उत्पन्ना एकादशी की तारीख पर पुरोहितों के दो मत हो गए हैं। इसके अनुसार कुछ लोग आठ तारीख को और कुछ लोग नौ तारीख को उत्पन्ना एकादशी व्रत रखेंगे तो आइये जानते हैं दोनों तारीख पर एकादशी व्रत का महत्व और वजह..

आठ दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी व्रत, महत्व और पारण समय
हिंदू पंचांग में तिथि निर्धारण पद्धति के अनुसार तिथि, सूर्योदय व्यापिनी होनी चाहिए और अगले दिन कम से कम तीन प्रहर तक व्याप्त रहे। जबकि नौ दिसंबर शनिवार को सुबह दस बजे के बाद ही द्वादशी लग जा रही है (कुछ कैलेंडर में एकादशी की शुरुआत 8 दिसंबर सुबह 5.06 बजे और समापन 9 दिसंबर सुबह 6.31 बजे बताया गया है) और तीन प्रहर के नियम का पालन नहीं हो पा रहा है, इस कारण इस मत के गृहस्थ और स्मार्त लोग आठ दिसंबर शुक्रवार को ही उत्पन्ना एकादशी व्रत रखेंगे। जबकि अगले दिन नौ दिसंबर को वैष्णव लोग व्रत रखेंगे। इस दिन बेहद शुभ सौभाग्य योग भी बन रहा है। इस समय किया गया शुभ कार्य जरूर सफल होता है।

गृहस्थ जनों के लिए उत्पन्ना एकादशीः शुक्रवार 8 दिसंबर
गृहस्थ जनों के लिए पारण समयः नौ दिसंबर 2023
वैष्णव उत्पन्ना एकादशीः 9 दिसम्बर 2023 शनिवार
वैष्णव एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समयः सुबह 07:01 बजे से 07:13 बजे तक

9 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी व्रत, महत्व और पारण समय
कुछ कैलेंडर के अनुसार एकादशी की शुरुआत 8 दिसंबर सुबह 8.36 बजे हो रही है और 9 दिसंबर को 10.01 बजे यह तिथि संपन्न हो रही है। कुछ लोग उदयातिथि में ही व्रत की तिथि तय मानते हैं और इनके अनुसार ये नौ दिसंबर शनिवार को मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी यानी उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखेंगे। इन लोगों के लिए पारण समय 10 दिसंबर को सुबह 6.59 से 8.58 के बीच होगा, जबकि इस दिन द्वादशी संपन्न होने का समय 10.43 बजे तक है। इस दिन ही वैष्णवजन (संन्यासी, विधवा) भी उत्पन्ना एकादशी व्रत रखेंगे।

9 दिसंबर को शुभ योग
शोभनः 10 दिसंबर से सुबह 03:07 बजे तक
द्विपुष्कर योगः नौ दिसंबर को सुबह 10:01 बजे से दोपहर 02:13 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः नौ दिसंबर दोपहर 02:13 बजे से 10 दिसंबर सुबह 06:59 बजे तक

दो दिन एकादशी होने पर क्या करें
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार लगातार दो दिन इस तरह एकादशी होने पर स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए और दूसरे दिन यानी दूजी एकादशी को वैष्णवजन सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को व्रत रखना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।



Source: Dharma & Karma