fbpx

Maa Dhumavati Mantra: माता धूमावती के ये 7 मंत्र गरीबी को करेंगे दूर, रोग-शोक से भी दिलाते हैं मुक्ति

मां धूमावती की उत्पत्ति
Maa Dhumavati Mantra प्राणतोषिणी तंत्र में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार देवी सती ने प्रचंड भूख से अतृप्त होने के कारण भगवान शिव को निगल लिया। इसके बाद भगवान शिव के अनुरोध पर देवी ने उन्हें मुक्त तो कर दिया। लेकिन इस घटना से क्रोधित भगवान शिव ने देवी का परित्याग कर दिया और उन्हें विधवा रूप धारण करने का श्राप दे दिया।

धूमावती स्वरूप वर्णन
देवी धूमावती को एक वृद्ध और कुरूप विधवा स्त्री के रूप में दर्शाया जाता है। अन्य महाविद्याओं के समान वह कोई आभूषण धारण नहीं करती हैं। वह पुराने और मलिन वस्त्र धारण करती हैं। इनके केश पूर्णतः अव्यवस्थित रहते हैं। इन्हें दो भुजाओं के साथ चित्रित किया गया है। देवी अपने कम्पित हाथों में, एक सूप रखती हैं और उनका अन्य हाथ वरदान मुद्रा अथवा ज्ञान प्रदायनी मुद्रा में होता है। वह एक बिना अश्व के रथ पर सवारी करती हैं, जिसके शीर्ष पर ध्वज और प्रतीक के रूप में कौआ विराजमान रहता है।

धूमावती मूल मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा॥

माता धूमावती के अन्य मंत्र

1. मां धूमावती सप्ताक्षर मंत्र
धूं धूमावती स्वाहा॥

2. मां धूमावती अष्टक्षर मंत्र
धूं धूं धूमावती स्वाहा॥

3. मां धूमावती दशाक्षर मंत्र
धूं धूं धूं धूमावती स्वाहा॥

4. मां धूमावती चतुर्दशाक्षर मंत्र
धूं धूं धुर धुर धूमावती क्रों फट् स्वाहा॥

5. मां धूमावती पंचदशाक्षर मंत्र
ॐ धूं धूमावती देवदत्त धावति स्वाहा॥

6. धूमावती गायत्री मंत्र
ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्॥



Source: Dharma & Karma

You may have missed