Holashtak: होलाष्टक में वरदान भी हो जाते हैं बेकार, जानें वे तीन कारण जिनसे मानते हैं अशुभ
अशुभ होलाष्टक का कारण 1 (Holashtak Kahani)
विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार (holashtak kahani ) राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप के बेटे प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे। वे नियमित भगवान की पूजा आराधना में खोए रहते थे। इसके खिलाफ हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को चेतावनी दी थी। लेकिन प्रह्लाद ने पिता की बात नहीं मानी। इससे हिरण्यकश्यप गुस्सा आ गया, उसने प्रह्लाद को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पिता पुत्र के संबंध इतने खराब हो गए कि राक्षस राज हिरण्यकश्यप को मारने का फैसला कर लिया। उसने फाल्गुन माह की अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिनों तक अलग-अलग तरीकों से प्रताड़ित किया। आखिरी दिन हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का काम सौंपा।
होलिका को जन्म से वरदान प्राप्त था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं होगा। भाई के आदेश पर होलिका ने भतीजे प्रह्लाद को अपनी गोद में उठा लिया और उसे मारने के इरादे से आग पर बैठ गई। लेकिन ईश्वर पर प्रह्लाद की अटूट आस्था और भक्ति के कारण भगवान विष्णु ने उसे सुरक्षा दी और वे पूरी तरह से सुरक्षित बाहर आ गए। जबकि होलिका आग में जलकर मर गई। प्रह्लाद को यातना देने वाली होलिका दहन से पहले के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। मान्यता है कि इसी कारण हिंदू धर्म में इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है।
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अशुभ होलाष्टक का कारण 2 (Holashtak Kahani)
शिवपुराण की एक कथा (holashtak kahani) के अनुसार सती द्वारा आग में प्रवेश किए जाने के बाद भगवान शिव ने ध्यान समाधि में जाने का निर्णय ले लिया था। बाद में उनका देवी पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ, पुनर्जन्म के बाद सती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। लेकिन महादेव उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर समाधि में चले गए। इस पर देवताओं ने भगवान काम देव को भगवान शिव को देवी पार्वती से विवाह करने के लिए प्रेरित करने का काम सौंपा।
भगवान काम देव ने भगवान शिव पर कामबाण से प्रहार कर दिया, जिससे भगवान शिव का ध्यान भंग हो गया। इससे वे क्रोधित हो गए और उन्होंने फाल्गुन अष्टमी के दिन कामदेव पर अपनी तीसरी आंख खोल दी। इसके कारण कामदेव भस्म हो गए। हालांकि भगवान कामदेव की पत्नी रति की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को राख से पुनर्जीवित कर दिया। लेकिन तभी से इस समय को होलाष्टक माना जाता है।
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अशुभ होलाष्टक ज्योतिषीय कारण (Holashtak jyotish)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्सर इस समय सूर्य, चंद्रमा, बुध, बृहस्पति, मंगल, शनि, राहु और शुक्र जैसे ग्रह परिवर्तन से गुजरते हैं और परिणामों की अनिश्चितता बनी रहती है। इसलिए इस समय शुभ कार्यों को टाल देना अच्छा माना जाता है।
इनके लिए अच्छा होता है होलाष्टक
धर्म ग्रंथों के अनुसार होलाष्टक तांत्रिकों के लिए अनुकूल मानी जाती है, क्योंकि इस समय वे साधना के माध्यम से अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। होली का उत्सव होलाष्टक की शुरुआत के साथ शुरू होता है और फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन धुलेंडी पर समाप्त होता है।
Source: Religion and Spirituality