Lok Sabha Elections 2024 : गांव-गांव वोट मांगना यहां के उम्मीदवारों के लिए किसी इम्तिहान से कम नहीं
एक नजर में राजसमंद लोकसभा सीट
– विधानसभा क्षेत्र 8, जिले 4
-भीम, कुंभलगढ़, राजसमंद, नाथद्वारा (राजसमंद)
– जैतारण (पाली)
– ब्यावर (अजमेर)
– मेड़ता, डेगाना(नागौर)
पाली लोकसभा एक नजर
-कुल आठ विधानसभा क्षेत्र
-पांच पाली और तीन जोधपुर जिले की विधानसभा शामिल
-पाली, सुमेरपुर, सोजत, बाली, मारवाड़ जंक्शन, बिलाड़ा, भोपालगढ़, ओसियां विधानक्षेत्र शामिल
निर्वाचन विभाग के लिए ही नहीं अपितु प्रत्याशियों के लिए भी पाली और राजसमंद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ना टेढ़ी खीर है। क्योंकि दोनों का क्षेत्रफल काफी लंबा है। पाली संसदीय क्षेत्र दो जिलों में फैला है तो राजसमंद चार जिलों में। राजसमंद संभवतया प्रदेश में एकमात्र ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जिसका फैलाव चार जिलों में है।
पाली लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें है। जिनमें बिलाड़ा, ओसियां और भोपालगढ़ जोधपुर जिले में शामिल है। औसियां से लेकर बाली के आदिवासी इलाके तक पाली लोकसभा क्षेत्र फैला हुआ है। ऐसे में प्रत्याशियों को चुनाव के दौरान प्रचार के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। अब चुनावों के साथ गर्मियों का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में प्रत्याशियों को गर्मी में लोकसभा क्षेत्र को नापना आसान नहीं है। परिसीमन यानी 2009 में एक बार कांग्रेस के बद्रीराम जाखड़ चुनाव जीते थे। इसके बाद से लगातार दो बार भाजपा के पीपी चौधरी जीते हैं।
करीबन 467 किलोमीटर लंबा है राजसमंद लोकसभा क्षेत्र
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक राज्य की 22 वें नंबर की राजसमंद लोकसभा सीट भौगोलिक, सांस्कृतिक, भाषा की दृष्टि से अपने में कई रंग समेटे हुए हैं। एक तरफ मारवाड़ के मेड़ता में मीरा की भक्ति का केन्द्र है तो दूसरी ओर मेवाड़ के नाथ श्रीनाथजी, द्वारिकाधीशजी, चारभुजानाथ जी हैं। यहां के मार्बल-जिंक और टायर उत्पादन की धमक है, तो विश्वविरासत कुम्भलगढ़ भी एक बड़ी पहचान है। प्रदेश में यही एकमात्र सीट है। जो सर्वाधिक चार जिलों में फैली है। इसकी लंबाई 450 किलोमीटर से भी अधिक है। इसका एक छोर नागौर जिले के डेगाना विधानसभा क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम में राजपुरा और डावोली गांव है तो दूसरा नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र का दक्षिण-पूर्व में करीबन 467 किलोमीटर दूर बैरण गांव है।
यह है चौथा चुनाव
साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई मेवाड़ व मारवाड़ में फैली राजसमंद लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 2009 में हुआ था। उस समय कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत यहां से सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2014 में दूसरे चुनाव में भाजपा की झोली में गई। इस सीट पर हरिओम सिंह राठौड़ और फिर 2019 में तीसरे चुनाव में जयपुर के पूर्व राजघराने की बेटी व उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी यहां से सांसद चुनी गईं। अब यहां चौथी बार चुनाव होने जा रहा है।
निर्वाचन विभाग के लिए भी चुनौती
राजसमंद लोकसभा सीट का चुनाव कराना निर्वाचन विभाग के लिए भी कड़ी चुनौती है। चुनाव अलग-अलग जिलों में होने से मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी भी बदल जाते हैं। मतदान और मतगणना भी अलग-अलग जगह होती है। मतदान कराने के बाद इवीएम को संबंधित जिलों में सुरक्षित पहुंचाना भी निर्वाचन विभाग के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं होता है। सुरक्षा के लिहाज से भी चारों जिलों की पुलिस को समन्वय स्थापित करना पड़ता है।
एकतरफा सफर में सूर्योदय से सूर्यास्त
उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। राजसमंद जिले की सीमा में प्रचार कर शाम को घर लौटना संभव है, लेकिन नागौर क्षेत्र में जाने के बाद उसी दिन उम्मीदवार का लौटना मुश्किल है। दूरी इतनी है कि सिर्फ एक तरफा सफर में ही सूर्योदय से सूर्यास्त हो जाएगा। परिसीमन में राजसमंद नया क्षेत्र बनने के बाद यह चौथा चुनाव है। उदयपुर से अलग कर कुछ और जिलों के क्षेत्र जोड़कर राजसमंद को लोकसभा सीट बनाया था।
Source: Education