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तेज बुखार के साथ आंखों के पीछे दर्द भी डेंगू के लक्षण

डेंगू एक सेल्फ लिमिटिंग डिजीज है जो स्वत: ठीक हो जाती है। इसे ठीक होने में 7 से 12 दिन का समय लगता है। इसमें मरीज को ओआरएस का घोल पीने और पैरासिटमॉल दवा देते हैं। घोल डिहाइड्रेशन से बचाता जबकि बुखार उतारने के लिए पैरासिटमॉल दिया जाता है। इसको लेकर डरने की जरूरत नहीं है लेकिन आशंका है तो डॉक्टर को दिखाकर ही इलाज लें। यह गंभीर बीमारी नहीं है।

डेंगू फीवर के तीन स्टेज होते हैं जो कुल 7-12 दिनों का होता है। पहले को फेवराइल स्टेज जो शुरू के 3-5 दिनों का होता है। इसमें मरीज को केवल बुखार आता है। गंभीरता नहीं होती है। दूसरा क्रिटिकल स्टेज होता है। यह 24-48 घंटों का होता है। इसमें मरीज की स्थिति बिगड़ती है। यह तीसरे दिन के बाद से होती है। इसमें लिवर का एंजाइम 10-15 गुना तक बढ़ जाता है। खाना पचने में परेशानी होती है। शरीर और हाथ-पैरों में दर्द होता है। कमजोरी होने लगती है। प्लेटलेट्स घटने लगती है। पेट और फेफड़ों में पानी भर जाता है। तीसरा स्टेज रेज्यूलेशनल होता है। इसमें डेंगू का असर घटने लगता है।
ये हैं खास लक्षण
इसमें हाई ग्रेड फीवर जो 102-103 फेरनहाइट होता है। दूसरा आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द बना रहता है जिसको रिट्रोऑर्बिटल पेन कहते हैं। यह दर्द अधिकतर डेंगू के मरीजों में होता है। तीसरा हाथ-पैरों व जोड़ों में दर्द और शरीर पर लाल रेशेज आते हैं। 20 हजार से अधिक काउंट होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने से नुकसान हो सकता है। डॉक्टर पर दबाव न दें।
इन बातों का रखें ध्यान

डेंगू के रोगियों को शारीरिक श्रम से बचना चाहिए। इससे प्लेटलेट्स घटती है। मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें। यदि बुखार आता है कि तो डॉक्टरी सलाह पर केवल पैरासिटमॉल ही लें। कोई पेनकिलर भूलकर भी न लें। भरपूर मात्रा में लिक्विड डाइट लें। इसमें ओआरएस घोल, नारियल पानी, छाछ, सूप आदि शामिल हो सकता है। ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजें न खाएं। मच्छरों से बचाव रखें। इसकी कोई वैक्सीन नहीं है।
डॉ. सुनील महावर, फिजिशियन, सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर

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Source: Health