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प्रेग्नेंसी में मसूड़ों से होने वाली ब्लीडिंग को नजरअंदाज न करें

03 माह पहले (प्रेग्नेंसी प्लान करने के) करा लेनी चाहिए किसी भी प्रकार की दंत चिकित्सा
02 बार दिनभर में दांतों की देखभाल के लिए ब्रश जरूर करें।
3-4 बार दिनभर में कुल्ले करने चाहिए खानपान के बाद
अक्सर सुनने में आता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव से कई तरह की दिक्कतों का सामना महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों को करना पड़ता है। ऐसा ही कुछ होता है साफ सफाई के अभाव में दांतों से जुड़ी समस्याओं में। इसलिए कहा जाता है कि गर्भावस्था में खानपान के साथ दांतों की देखभाल बेहद जरूरी है।
इन रोगों की आशंका
गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले अहम हार्मोन्स के बदलाव से मसूड़ों से खून आने (जिंजिवाइटिस) और मसूड़ों में ट्यूमर जैसी ग्रोथ (इप्यूलस) की समस्या देखने में आती है। दांतों की देखभाल और साफ-सफाई का ध्यान न रखने वालों में इन रोगों की आशंका अधिक रहती है। हालांकि इप्यूलस की दिक्कत प्रसव के बाद स्वत: ठीक हो जाती है। गर्भावस्था के आखिरी तीन माह में ट्रीटमेंट लेना मुश्किल होता है।
इन बातों का ध्यान रखें
कोई भी दवा लेने और एक्सरे कराने का असर गर्भस्थ शिशु पर होता है। इसलिए दांतों से जुड़ा कोई भी डेंटल ट्रीटमेंट लेने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। कुछ मामलों में दंत चिकित्सा के तहत ली जाने वाली विशेष दवाओं से आगे चलकर बच्चे के दांतों में पीलापन आ सकता है। इसके लिए परामर्श ले लेना चाहिए।
ऐसे होनी चाहिए दांतों की केयर
दांतों से जुड़ी किसी भी समस्या के इलाज की सोच रहे हैं तो प्रेग्नेंसी प्लान करने से 2-3 माह पहले करा लें। गर्भावस्था के दौरान दिन में दो बार ब्रशिंग जरूर करें। नाश्ते- भोजन के बाद कुल्ला करना चाहिए। मसूड़ों से ब्लीडिंग हो तो तुरंत दंत रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
एक्सपर्ट : डॉ. अंजलि कपूर, दंत रोग विशेषज्ञ, गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज, जयपुर

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Source: Health