गैस-एसिडिटी की दवाओं से ज्यादा आदतों में बदलाव से फायदा
तीन मुख्य प्रकार
ये दवाइयां तीन प्रकार की होती हैं। पहली, पेट के एसिड न्यूट्रल करने वाली या ऐसी एंटीएसिड्स जो कम समय में तुरंत राहत दिलाती हैं। दूसरी, एच2 ब्लॉकर्स जो 12 घंटे तक हिस्टामीन को रोकर राहत दिलाती हैं और तीसरी, प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स (पीपीआइ) जो कि एसिड को बड़ी मात्रा में रोकने वाली होती हैं और उन्हें पेट तक नहीं पहुंचने देती हैं।
कारण
इन समस्याओंं से बचने के लिए दवा नहीं बल्कि एसिडिटी बनने के कारणों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जैसे फास्ट व जंक फूड अधिक खाना, लिक्विड डाइट और नींद की कमी और व्यायाम न करना है। अधिक तनाव से भी पेट में जलन-गैस की समस्या होती है। कुछ दवाइयों से भी अधिक गैस बनती है।
कैसे नुकसान होता
भोजन को पचाने के लिए पेट में एसिड स्रावित होते हैं। इसे गैस्ट्रिक जूस कहते हैं। इनमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड, पोटैशियम और सोडियम क्लोराइड होता है। यह न केवल पाचन ठीक रखते हैं बल्कि गैस्ट्रिक कैंसर के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया को भी खत्म करते हैं। ऐसे में जब बिना जरूरत के एंटीएसिडिक दवाइयां लेते हैं तो अच्छे बैक्टीरिया भी मरते हैं। किडनी को भी नुकसान होता है। आंकड़े बताते हैं कि पीपीआइ लेने वाला पांच में से एक व्यक्ति इसका आदी हो जाता है।
… तो दवाइयों की नहीं पड़ेगी जरूरत
रोज 3-4 लीटर पानी पीएं। पानी की कमी से कब्ज, गैस और एसिडिटी होती। तनाव से कई ऐसे हार्मोन स्रावित होते हैं जिनसे पाचन तंत्र खराब होता है। तनाव से प्रोस्टाग्लैंडिन्स नामक हार्मोन बढ़ता जिससे एसिडिटी होती है। व्यायाम से शरीर का मेटाबोलिक बैलेंस सही रहता है। स्ट्रेस हार्मोन भी घटते हैं। रोज 45 मिनट व्यायाम करें। कम नींद से एसिडिटी बढ़ाने वाले कारणों में बढ़ोत्तरी होती है। डाइट में मौसमी फल-सब्जियां भरपूर मात्रा में शामिल करें। रेशे वाली फाइबर डाइट अधिक उपयोगी है।
देसी उपाय
ठंडा दूध पीएं। एक टुकड़ा अदरक का चबाएं या उबाल कर पीएं। डाइट में केला और आंवला शामिल करें। सौंफ चबाना भी लाभकारी होता है।
डॉ. लोकेंद्र शर्मा, सीनियर फार्माकोलॉजिस्ट, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर
Source: Health