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विंटर डायरिया में बच्चे को सबसे पहले ओआरएस व जिंक का घोल दें

डायरिया मुख्य रूप से वायरल व रोटावायरस के कारण होने वाली बीमारी है। आजकल वायरल के कारण डायरिया का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है। साथ ही शिशुओं में सांस की समस्या भी बढ़ जाती है। इसकी वजह छोटे बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होना है। जब शिशु संक्रमित दूध या कोई आहार लेता है तो उससे डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए छह माह से छोटे शिशुओं को बाहरी चीजें देने से मना किया जाता है।
एंटीबायोटिक देने से बचें
विंटर डायरिया में शिशुओंं को एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं देना चाहिए क्योंकि इस मौसम में बैक्टीरिया नहीं बल्कि वायरस के कारण ही इंफेक्शन अधिक होता है। वायरल में एंटीबायोटिक से बचाव नहीं होता है। वायरल में एंटीबायोटिक दवा देने से बच्चे के शरीर में रेसिस्टेंस डवलप हो जाता है और आगे चलकर दवाइयों का असर कम होता है। बचाव के लिए हाथों व शरीर की साफ सफाई का ध्यान रखें।
इनका रखें ध्यान
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विंटर डायरिया में केवल ओआरएस और जिंक का घोल ही देना चाहिए।
जो शिशु ऊपर की चीजें ले रहे हैं उन्हें दाल का पानी, मांड, केला, दही आदि सकते हैं। बार-बार पानी पिलाते रहें।
रोटावायस का वैक्सीन जरूर लगवाएं।
शिशु की खाने-पीने की चीजें बनाते समय सफाई का विशेष ध्यान रखें।
डॉ. आकाश शर्मा, शिशु रोग विशेषज्ञ, एम्स, नई दिल्ली



Source: Health

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