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ठीक होने के बाद भी रहता है जीका का असर, जानें ये खास बातें

दिन में सक्रिय रहने वाले एडीज मच्छर के काटने से ज़ीका वायरस फैलता है। संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद ये मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है। मच्छरों के अलावा असुरक्षित शारीरिक संबंध, संक्रमित खून, ऑर्गन डोनेशन, लार से भी जीका बुखार या वायरस फैलता है।

चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया या ज़ीका की पहचान –
ज़ीका बुखार में लक्षण डेंगू बुखार की ही तरह होते हैं। थकान, बुखार, लाल आंखें, हल्का बुखार, अंगुलियों में दर्द, जोड़ों में दर्द व मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, आंखों के पीछे की तरफ दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते आने लगते हैं। ये लक्षण मच्छर के काटने के 10 से 12 दिन के बाद शरीर पर दिखाई देने शुरू होते हैं। ये लक्षण 2 से 7 दिन तक रहते हैं। इस वायरस के पूरी तरह ठीक होने और इन्फेक्शन का शरीर पर असर 3 से 4 महीने तक रहता है।

3 माह रहता प्रभाव –
शरीर में ज़ीका वायरस का इन्फेक्शन यूरिन में 2-3 सप्ताह, पुरुष के वीर्य में छह से आठ सप्ताह, महिला जननांग में 3 माह तक, रक्त में आठ-10 सप्ताह तक रहता है। सामान्यत: जीका का असर पीड़ित व्यक्ति के शरीर में तीन माह तक रहता है।

सफाई जरूरी –
पानी इकठ्ठा न होने दें, साफ-सफाई रखें। ओआरएस घोल और तरल-पदार्थ ज्यादा लें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। खून चढ़ाते समय ध्यान रखें। सोते समय मच्छरदानी, मॉस्किटो रिपेलेंट का प्रयोगकरें। गर्भवती मच्छरों वाले स्थान पर न जाएं।

गर्भस्थ शिशु व मां दोनों को रहता खतरा –
गर्भवती के ज़ीका वायरस से संक्रमित होने पर पहले व दूसरे तिमाही में भ्रूण में विकृति की आशंका ज्यादा रहती है। शिशु का सिर छोटा होना, मस्तिष्क संबंधी रोग की आशंका रहती है। गर्भवती के पहले तीन माह में मां से बच्चे को 59 फीसदी इन्फेक्शन का खतरा रहता है। बच्चे के ब्रेन में कैल्शियम जमा होने से मस्तिष्क का विकास बाधित होता है, इसे मिक्रोकिफेली कहते हैं। गर्भ के नौवें माह में संक्रमित होने पर शिशु के सुनने की क्षमता कम व आंखों से दिखना बंद हो जाता है।

पहचान के लिए करते आरटीपीसीआर टेस्ट –
ज़ीका वायरस से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन और दवा उपलब्ध नहीं हैं। इसमें लक्षणों के आधार पर इलाज दिया जाता है, बुखार और दर्द से आराम देने के लिए मरीज को पैरासिटामॉल देते हैं। ब्लड व यूरिन का आरटी-पीसीआर, एंटी बॉडी टेस्ट आईजी, पीआरएएनटी किए जा सकते हैं। सामान्यता जीका वायरस की पहचान के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट किया जाता है।

आयुर्वेद से इलाज – गिलोय रस, महासुदर्शन घनवटी, ज्वर हर कसाय रोगी की स्थिति अनुसार विशेषज्ञ की सलाह से लें।



Source: Health