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घरेलू काम करने से होता है बच्चों के ब्रेन का विकास

कब सचेत हो जाएं
बच्चे जब किशोरावस्था में आते हैं तो उनमें यह भावना आने लगती है कि यह काम मेरा नहीं है। फलां काम क्यों करूं? नौकर से काम करवा लो या फिर मैं आपका नौकर नहीं हूं। यदि ये बातें बच्चा करने लगे तो समझ लें कि वह काम को जिम्मेदारी नहीं, स्टेटस मान रहा है। उसे समझाना चाहिए कि अपने काम खुद करने होंगे, कोई दूसरा नहीं करेगा। जैसे अपने कपड़े खुद साफ व आयरन करना है। सामान सलीके से रखना आदि
बीमारियों से बचाव
बच्चों में बचपन से काम की आदत डालते हैं तो बड़े होने पर उन्हें महसूस होगा कि वे हर काम कर सकते हैं। एक्टिव रहने से उनके दिमाग में ऑक्सीजन का प्रवाह अधिक होता है जो ब्रेन डेवलपमेंट के लिए अच्छा होता है। काम करने से उनमें रुझान पैदा होता और कल्पनाशीलता बढ़ती है। साथ ही उनमें मोटापा, जोड़ों की तकलीफ, डायबिटीज, हार्ट डिजीज आदि रोगों का भी खतरा घटता है।
बच्चों से कराएं ये छोटे-मोटे काम
छोटे बच्चों के लिए घर में कई ऐसे काम होते हैं जो उनसे करा सकते हैं जैसे अपना सामान, कपड़े सही जगह रखें। साथ ही टेबल टॉप की सफाई, डायनिंग टेबल से बर्तन उठाकर सिंक में रखना, कपड़े सुखाना, सूखे कपड़ों को फोल्ड कर रखना, मोजे का पेयर लगाना, घर के पालतू जानवरों को खाना देना, किचन से चम्मच-गिलास लाना, बेड पर फैले कपड़ों को ठीक करना, फर्श पर पड़े बड़े पेपर या छिलकों को डस्टबिन में डालना, गमलों में पानी डालना, गंदे कपड़े मशीन के पास रखना, जूतों को सही जगह रखना, फ्रिज में सब्जियां रखने में मदद करना आदि। इससे उनमें क्रिएटिविटी भी बढ़ती और सुस्त भी नहीं रहते हैं।
दो साल की उम्र से दें ट्रेनिंग
जब बच्चा दो साल का हो जाए तो उससे छोटे-छोटे काम करने शुरू कर दें क्योंकि इसी उम्र से बच्चा चीजों को समझना शुरू कर देता है। बच्चों के दिमाग का पूरी तरह विकास दो से चार वर्ष के बीच में होता है इसी उम्र में उसे खाना, बोलना, खेलना आदि चीजों के बारे में सिखाना चाहिए। यह स्किल डेवलपमेंट का अच्छा समय होता है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों का विकास होता है।
डॉ. केरसी चावडा, वरिष्ठ मनोचिकित्सक और पूर्व अध्यक्ष, मुंबई मनोचिकित्सक संगठन



Source: Health