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हार्मोनयुक्त दूध बढ़ाता है मोटापा और आलस, जानें इसके बारे में

दुनियाभर में दूध को संपूर्ण आहार माना जाता है। इसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन और कैल्शियम मौजूद होते हैं लेकिन यदि दूध हार्मोंस से भरा हो तो यह दूध आपके लिए किसी बड़े खतरे से भी कम नहीं।

करीब 40 सालों से डेयरी उद्योग दुनियाभर में डेयरी प्रोडक्ट्स के बहाने सेहत के बाजार को कैश कर रहा है। स्तनधारियों का दूध उनके बच्चों के लिए एक सीमित अवधि तक पोषण प्रदान करने के लिए होता है। चार पैर वाले दूधारू पशुओं के दूध में जो हार्मोन होते हैं उनसे 50किलो का बछड़ा एक साल में 350 किलो का हो जाता है। चौपायों के दूध में हार्माेन के असर से बच्चों का वजन तेजी से बढ़ता है।

इंसुलिन लाइक ग्रोथ फैक्टर का मुद्दा –
अमरीका और इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने 1988 में ही हार्मोन वाले दूध के खतरों से आगाह कर दिया था। आम दूध से 10 गुना अधिक ‘आईजीएफ-1Ó हार्मोन इंजेक्शन से प्राप्त किए दूध में पाया गया। आईजीएफ-1 पाश्चुराइजेशन से नष्ट होने के बजाय शक्तिशाली हो जाता है। अमरीका कीड नियामक संस्थान एफडीए के शोधकर्ताओं ने बताया है कि आईजीएफ-1 आंतों से रक्त प्रवाह में पहुंच जाता है।

शरीर की अपने ही खिलाफ लड़ाई –
डॉक्टर जॉन मैकडुगल के शोध के अनुसार मानव शरीर में ग्रोथ हार्मोन होता है और दूध में भी यही ग्रोथ हार्मोन होता है। दूध का प्रोटीन भी एमिनो एसिड से बनता है जबकि शरीर के भीतर भी पहले से एमिनो एसिड होता है। यह आपस में मिलकर परस्पर विरोधी के रूप में काम करते हैं। इसे मेडिकल साइंस में ‘ऑटो इम्युन डिसीज’ कहा जाता है, जिसका मतलब होता है कि शरीर अपने ही खिलाफ लड़ाई लड़ने लगता है। इससे दिल की बीमारियां, कैंसर, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियां हो जाती हैं।

दूध की जगह इसके विकल्प को अपनाएं –
जिन लोगों को दूध अच्छा नहीं लगता, वे संतुलित मात्रा में दही, पनीर या छाछ लें। डेयरी उत्पादों के सैचुरेटेड फेटी एसिड्स शरीर की पाचन प्रक्रिया धीमी करते हैं और इस कारण आलस आता है।

दूध से प्रोटीन एलर्जी –
कुछ लोगों को बचपन से ही डेयरी उत्पादों से एलर्जी होती है क्योंकि वह दूध में पाए जाने वाले लेक्टोज को पचा नहीं पाते। दूध लेने पर उनके पेट में मरोड़ उठती है या उन्हें दस्त लग जाते हैं। संभवतया इसीलिए करीब डेढ़ लाख हैल्थ प्रोफेशनल्स की भागीदारी वाला एनजीओ द फिजियन कमेटी फॉर रिस्पॉसिबल मेडिसिन भी बच्चों को दूध न देने के पक्ष में है। जयपुर के चिकित्सक श्रीकांत शर्मा कहते हैं हार्मोनयुक्त दूध रोजाना पीने से बच्चों में वजन का तेजी से बढ़ना, अनचाही जगहों पर उभार आना, लड़कियों का जल्दी वयस्क होना, महिलाओं में मासिक अनियमितता, गर्भधारण में परेशानी के अलावा कई घातक बीमारियां होने लगी हैं।



Source: Health