डिजिटल ड्रग्स यानी तेज धुनें, लग सकती है इनकी लत
क्या होता है डिजिटल ड्रग्स
इसे बाइनोरल बीट्स (तेज धुन) या ऑडियो ड्रग्स भी कहते हैं। इसमें दो अलग फ्रीक्वेंसी की वेव्स साउंड कानों से होते हुए दिमाग तक जाती है जो एंटरटेन करती हैं। इसे सुनने पर नशे जैसी फीलिंग आती है। कई वेबसाइट पर ऐसे ऑडियो उपलब्ध हैं। जिसे सुनकर लोग बीमार हो रहे हैं। एक्सपट्र्स की मानें तो इसका इस्तेमाल खतरनाक होता है। कुछ समय सुनने के बाद ही व्यक्ति इसका इतना आदी हो जाता है। उसे इलाज की जरूरत पड़ती है।
इसमें दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की साउंड वेब्स दिमाग में भेजी जाती है (जैसे एक कान में ५०० हट्र्ज तो दूसरे में ५२० हट्र्ज) तो दोनों की फ्रीक्वेंसी में थोड़ा गैप होता है। इससे दिमाग में ऑडिटरी इल्यूजन पैदा होता है और दिमाग की सामान्य कोशिकाओं का दायरा घटता है और बायोफीडबैक आने लगता है। इससेे बे्रन को अच्छा महूसस होने लगता है। व्यक्ति भावुक हो जाता है। उसके सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है। इससे पीडि़त व्यक्ति इस साउंड को सुनने में इतना तल्लीन हो जाता है कि अपने दैनिक कार्यों से दूर हो जाता है। मेडिकल भाषा में इसे कैनाबिस (भांग) बीट्स भी कहते हैं।
खतरनाक है इसकी आदत
इसका दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहा है। कुछ समय के बाद इसकी आदत हो जाती है। लत भी ऐसी जैसे प्रतिबंधित मादक द्रव्य का होता है। एक बार व्यक्ति ने सुन लिया तो उसे बार-बार सुनने की तलब होती है। इसे अधिक समय तक सुनने से हाथ पैर सुन्न पड़ जाते हैं। मांसपेशियों में खिंचाव और जकडऩ की समस्या होने लगती है।
व्यवहार में आक्रामकता, बेचैनी और घबराहट
अगर पीड़ित व्यक्ति को एक दिन साउंड सुनने को नहीं मिलता तो इसके विड्रॉल साइन दिखने लगते हैं। इसमें तड़प, बेचैनी, घबराहट, मरीज के व्यवहार में आक्रामकता और ध्यान में कमी आने लगती है। एक शोध में पाया गया है कि युवा इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं क्योंकि उनमें नया सुनने या जानने की उत्सुकता अधिक होती है। वे ऑनलाइन इसे सब्सक्राइब कर लेते हैं। इसको सुनने से बचना चाहिए। यदि समस्या हो जाए तो तत्काल मनोचिकित्सक को दिखाएं।
डॉ. ओम प्रकाश, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, आइएचबीएएस (इहबास), नई दिल्ली
Source: Health