सरकार ने जारी की नीति अब पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले देंगे मुआवजा, इनसे वसूली जाएगी क्षतिपूर्ति
अविनाश केवलिया/जोधपुर. चाहे औद्योगिक इकाइयां प्रदूषण फैला रही हो या नगर निगम का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट फेल हो गया हो। अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट प्रक्रिया भी नहीं अपनाई जा रही हो, तब भी पर्यावरण नुकसान पहुंचाने वालों से अब प्रदेश में मुआवजा राशि वसूल जारी करने के लिए पॉलिसी बनाकर जारी की गई है। एनजीटी के निर्देश और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की गाइड लाइन की पालना करते हुए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने यह पॉलिसी जारी की है।
अब तक प्रदूषण फैलाने वालों पर आर्थिक दंड न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही लगाया जाता था। अब प्रदेश में पहली बार लेकिन अब औद्योगिक के साथ ही शहरी क्षेत्र में भी प्रदूषण फैलाने वालों को जुर्माने के अधीन रखा गया है। आरपीसीबी ने पहले चरण में शहरों से प्रदूषण फैलाने वाली संस्थाओं की सूची भी मांगी है, जिनसे मुआवजा वसूला जा सकता है। खास बात यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों के सीईटीपी, सीवरेज पानी के लिए एसटीपी व बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट के मानकों पर नहीं संचालित होने पर करोड़ों की राशि वसूल की जाएगी।
अस्पतालों से ऐसे होगी वसूली
– अस्पतालों पर 12 सौ रुपए प्रतिदिन
– बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल से प्रदूषण फैलने पर 3 हजार रुपए प्रतिदिन
नगरीय निकायों से ऐसे वसूली
-15 लाख से अधिक आबादी
– अनट्रीटेड व आंशिक ट्रीटेड पानी को बहाने पर 10 करोड़ का जुर्माना।
– सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होने पर 5 करोड़ जुर्माना।
5 से 15 लाख तक की आबादी
– अनट्रीटेड व आंशिक ट्रीटेड पानी को बहाने पर 1 करोड़
– सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होने पर 1 करोड़ जुर्माना।
1 से 5 लाख की आबादी
– अनट्रीटेड व आंशिक ट्रीटेड पानी को बहाने पर 10 लाख
– सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होने पर 10 लाख
1 लाख से कम आबादी
– अनट्रीटेड व आंशिक ट्रीटेड पानी को बहाने पर 5 लाख
– नगर निगम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में फेल होने 5 लाख
उद्योगों पर ऐसे लगेगा जुर्माना
यह है फॉर्मूला – पीआई गुणा एन गुणा एस गुणा एलएफ गुणा आरएफ।
1. पीआई (पोल्यूशन इंडेक्स) – इसमें रेड श्रेणी के लिए अंक 80, ऑरेंज के लिए 50 और ग्रीन के लिए 30 अंक है।
2. एन (नम्बर)- जितने दिनों तक प्रदूषण फैलाए वह अंक।
3. एस (स्केल) – फेक्टर फोर स्केल ऑफ ऑपरेशन। यह इंडस्ट्री के माइक्रो, मिनी, मिडियम और लार्ज स्तर पर तय होगा।
4. एलएफ (लोकेशन फेक्टर) – औद्योगिक क्षेत्र जिस शहर में उसकी आबादी के लिहाज से यह फेक्टर लागू होगा।
5. आरएफ (रुपी फेक्टर) – इसमें पर्यावरण नियमों की अवहेलना जैसे बिना कंसेंट ऑपरेशन, ग्राउंड वाटर का दोहन, इफ्लूएंट मानकों पर नहीं होना का आकलन इसमें किया जाएगा।
इनका कहना है…
माननीय एनजीटी के आदेशों पर यह गाइड लाइन जारी की गई है। सीपीसीबी ने पहले ही इस पर निर्देश दे दिए थे। पहली बार प्रदेश में मुआवजे के लिए यह प्रक्रिया अपनाई गई है।
– शैलजा देवल, सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल
Source: Education