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मन को वश में करने वाले ही भगवान को पा सकते हैं :पंडित अरविंद व्यास

सीहोर। भोलेनाथ सती के प्रेम के वासीभूत गले में उनके नरमुंड गहनों की तरह पहनते है और देवी की स्मृति हमेशा हृदय से लगाकर रखते हैं। भक्त को भी भोलेनाथ की भांति भगवान से प्रेम करना चाहिए, प्रभू को हृदय से लगाकर रखना चाहिए। यह बात कथावाचक पंडित अरविंद व्यास ने इंदौर नाका स्थित दशहरा बाग में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को कहीं।

अंत में मृत्यृ को प्राप्त हुआ
श्रीमद भागवत के कथा के प्रारंभिक 18 अध्यायों का श्रवण श्रद्धालुओं को कराते हुए पंडित व्यास ने कहा कि पांडवों के पांचों पुत्रों के सिर काटने वाले ब्राहम्ण का भगवान श्रीकृ ष्ण के निर्देश पर अर्जुन ने मृत्यृ की सजा नहीं दी और अपमान कर जीवित छोड़ दिया। पापी ने अपने पाप का प्रश्चित नहीं किया और अंत में मृत्यृ को प्राप्त हुआ।

किसी के भी नियंत्रण में नहीं होता
कथावाचक पंडित अरविंद व्यास ने कहा कि अपने द्वारा किए गए धर्म, पुण्य, दान और संत के दिए गए मंत्र को किसी को बताना नहीं चाहिए। दान करने के बाद उसके प्रचार से मनवांछित फ ल प्राप्त नहीं होता है। कथा के दौरान पंडित व्यास ने मन की गति बताते हुए कहा कि मन को वश में करने वाले ही भगवान को पा सकते हैं और मन सरलता से किसी के भी नियंत्रण में नहीं होता है।

मेहतवाड़ा. भंवरी कलां में चल रही भागवत कथा में कथावाचक संत महेश गुरु ने कहा कि अपने परिवार के सदस्यों से प्यार करते हो। ऐसे ही राष्ट्र देश के प्रति भाव प्रेम होना चाहिए। हमेशा राष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा करना ये हम सबका पहला कर्तव्य है। राष्ट्र के स्वाभिमान के लिए अगर जान की भी बाजी लगाना पड़े तो लगा देना चाहिए। पीछे नहीं हटना चाहिए। देशद्रोही किसी को नहीं होना चाहिए। भगवान की भक्ति जैसी राष्ट्र की भक्ति है। एक का ही ध्यान स्मरण करना चाहिए। एक बाल्टी पानी में अगर थोड़ा सा गंगा जल मिला दिया जाए तो वो पूरा पवित्र हो जाता है। ऐसे अगर एक घर में एक व्यक्ति भी अगर भक्ति मार्ग पर हो तो पूरा घर का कल्याण हो जाता है।


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Source: Education