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आइक्यू नहीं बच्चे का 'ईक्यू' लेवल तय करता है उसकी सफलता, जानें इसके बारे में

अपने बच्चों के पालन पोषण में हम अक्सर उसकी बौद्धिक क्षमताओं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे के भावनात्मक पक्ष को भी उतना ही महत्त्व दिया जाना चाहिए। हाल के शोध बताते हैं कि बच्चे के इमोशनल कोशेंट यानि ईक्यू (भावनात्मक बुद्धिमत्ता) को बढ़ाने से बच्चों में सकारात्मकता और सफल होने की आशा बढ़ जाती है। इस विषय पर किताब लिखने वाले मार्क ब्रैकेट सेंटर फॉर इमोशनल इंटेलीजेंस के संस्थापक भी है। मार्क कहते हैं कि हमारा ईक्यू हमारे इंटेलीजेंस कोशेंट यानि आइक्यू से बिल्कुल उलट है। यह हमें अपनी भावनाओं को पहचानने, उन्हें संयमित करने और दूसरों की भावनाओं के साथ सहानुभूति रखने की क्षमता देती है। बच्चों में आइक्यू लेवल बढ़ाने की चिंता में हम अक्सर उनकी ईक्यू को कम कर के आंकते हैं। इससे उनमें भावनात्मक कौशल में कमी आई है और वे थोड़ी सी विफलता पर ही टूट जाते हैं। मार्क का कहना है कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता का सृजन, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, स्मृति, निर्णय लेने, रिश्ते, रचनात्मकता, ग्रेड और नौकरी के प्रदर्शन को बढ़ाने का एक सीधा तरीका है।

अक्सर माता-पिता यह मान लेते हैं कि पढ़ाई और आइक्यू के साथ ईक्यू भी स्कूल में कौशल के रूप में बच्चों में विकसित किया जाता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे घर पर भी मजबूत किया जाता चाहिए। बच्चों को दूसरों का आभारी होना और धन्यवाद कहना सिखाएं। शिक्षकों को विशेष दिवसों पर कार्ड लिखने, खिलौनों को खुद साफ करने, दोस्तों के साथ बराबरी का व्यवहार करने और सेवाओं के लिए लोगों का शुक्रगुजार होना सिखाएं। यह रातों-रात होने वाला बदलाव नहीं है। लेकिन सतत प्रयास से बच्चों में इसे आसानी से विकसित किया जा सकता है। इन तरीकों से आप भी अपने बच्चों के इमोशन कोशंट को बेहतर कर सकते हैं।



Source: Health