fbpx

Ayurvedic Remedies For Piles: आयुर्वेदिक उपायों से आसानी से करें पाइल्स का इलाज

Ayurvedic Remedies For Piles In Hindi: हमारे शरीर के गुदा भाग में रक्त नलिकाएं होती हैं। इन पर दबाव पड़ने या कब्ज के कारण इस भाग के अंदरूनी व बाहरी हिस्से में सूजन आने व मस्सा बनना ही बवासीर (पाइल्स) की समस्या कहलाती है। आयुर्वेद में इसे अर्श कहते हैं। आइए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार इसके प्रकार व उपचार के बारे में :-

पाइल्स के प्रकार
अंदरुनी
मलद्वार के अंदर होने के कारण कई बार रोग का पता नहीं चलता। इसकी चार स्टेज हैं-
पहली: इसमें गुदा के अंदर रक्त नलिकाओं में सिर्फ थोड़ी सूजन होती है। कभी- कभार नब्ज या अन्य किसी कारण से मलत्याग के समय दबाव डालने पर रक्त भी आता है।

दूसरी: इसमें सूजन थोड़ी ज्यादा व दर्द होता है। मलत्याग के समय मस्से बाहर आ जाते हैं जो स्वत: अंदर भी चले जाते हैं।

तीसरी: इस स्टेज में सूजन अधिक होती है और मलत्याग के समय खून अधिक आता है व मस्से बाहर आ जाते हैं जिन्हें अंगुली की मदद से अंदर करना पड़ता है।

चौथी: दर्द अधिक और मल त्याग के समय मस्से बाहर आ जाते हैं जो अंदर नहीं जाते।

बाहरी
मलद्वार के आसपास उसकी बाहरी परत पर छोटी-छोटी गांठें रहती हैं। कभी-कभी इनमें रक्त जमने से असहनीय दर्द होता है। ऐसे में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

आयुर्वेद उपचार
पाइल्स की पहली व दूसरी स्टेज में इन घरेलू दवाओं से इलाज हाे सकता है:-
– मक्खन से निकली छाछ 4 लीटर, भुना जीरा पाउडर 50 ग्राम और थोड़ा नमक मिलाकर दिन में कई बार ले सकते हैं। 4-5 दिन में काफी राहत मिलेगी।

– 10 ग्रा. किशमिश रात को पानी में भिगोएं। सुबह मसलकर उसका पानी 7-10 दिन तक पीएं।

– बकायन, निंबोली, हरड़ और रसौंत का चूर्ण एक माह तक लेना फायदेमंद है।

– नारियल की जटा का जला हुआ बुरादा एक चम्मच छाछ या मक्खन के साथ सुबह भूखे पेट 5-7 दिन तक लें।

– एलोवेरा, आंवला व त्रिफला जूस पीएं।

आयुर्वेद में इन उपायों के अलावा अग्नि कर्म चिकित्सा का प्रयोग भी करते हैं। इसमें विशेष अग्निकर्म के द्वारा बाहरी या छोटे पाइल्स वाले भाग को जलाते हैं।



Source: Health