HEALTH TIPS : रीढ़ की हड्डी में दर्द है तो करवट से सोएं, गर्दन में खिंचाव न आए
गलत मुद्रा में सोने से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस भी हो सकता है। गर्दन से रीढ़ की हड्डी के अंतिम छोर तक दर्द होता है। यह दर्द कई बार ज्यादा झटके से उठने-झुकने और वजनदार चीजें उठाने से भी होता है। सोते समय रीढ़ की हड्डी में हल्का घुमाव होना चाहिए। तकिया कंधे से सिर तक यानी ऊंचाई उतनी होनी चाहिए जिससे गर्दन में खिंचाव न हो।
गर्दन से कमर तक पेन
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस में गर्दन से कमर के पास तक के जोड़ों में दर्द या सूजन हो जाती है। न्यूरो तंत्रिका में खिंचाव के कारण यह दर्द गर्दन, हाथों, कंधों, पीठ और कमर तक बढ़ जाता है। मांसपेशियां मजबूत न होने से भी हड्डियों पर दबाव पड़ता है। सोते समय तकिया लगाने से सिर व कंधा एक लेवल में रहता है। गर्दन व कमर में दर्द है तो किसी भी करवट से सो तो सकते हैं लेकिन गर्दन, स्पाइन की सीध में होनी चाहिए। इससे दर्द में राहत मिलती है और अच्छी नींद भी आती है।
यह भी है वजह
मोबाइल पर देर तक गर्दन झुककर न देखें। मोबाइल का इस्तेमाल करते समय यह आंखों के लेवल पर होना चाहिए। इससे गर्दन की मांसपेशियों में तनाव व लापरवाही बरतने पर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस हो सकती है।
घुटने मोड़कर सोएं
कमर में दर्द, नसों में खिंचाव रहता है तो घुटने मोड़कर सोएं। सोते समय दोनों घुटनों के बीच में पतला तकिया जरूर लगाएं।
इन बातों का रखें ध्यान
आप किसी मुद्रा में सोएं पर कमर व गर्दन एक सीध में होनी चाहिए। कमर में दर्द नहीं है तो पैर सीधा कर सो सकते हैं।
लेटकर टीवी न देखें
यदि नसों के दबने की समस्या है तो लंबे समय तक नहीं बैठें और न ही खड़े रहें। हर एक घंटे में 10 मिनट टहल सकते हैं। लेटकर टीवी न देखें। कुर्सी पर बैठें तो पीठ का पीछे सपोर्ट मिलना चाहिए। कमर व पेट की मांसपेशियों की मजबूती के लिए व्यायाम करें। वजन अधिक है तो कम करें। फिजियोथैरेपिस्ट से सेंक करा सकते हैं। नसों व मांसपेशियों की सूजन कम होने से आराम मिलेगा।
एक्सपर्ट : डॉ. अभिषेक तिवारी, ऑर्थोपेडिक सर्जन, रायपुर
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Source: Health