WOMEN HEALTH : ये आठ बीमारियां महिलाओं की सेहत की हैं दुश्मन
किशोरावस्था में मासिक चक्र शुरू होना, शादी, गर्भावस्था, मेनोपॉज सहित कई बदलाव आते हैं। नौकरीपेशा के लिए कॅरियर व घर की जिम्मेदारियों में संतुलन बनाने की कोशिश में खुद को सेहतमंद रख पाना बड़ी चुनौती होती है। इनमें तनाव, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कैंसर, ऑटोइम्यून रोग व ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमरियां उम्र के साथ बढ़ती हैं। उम्र से अधिक दिखना, व्यवहार परिवर्तन के साथ अन्य दिक्कतें भी होती हैं। रोगों से बचाव के लिए समय पर जांच व इलाज जरूरी होता है।
समय पर नाश्ता करें
परिवार की सेहत के साथ खुद का भी ध्यान रखना जरूरी है। सुबह छह बजे तक उठने की आदत बनाएं। इसके बाद समय से पौष्टिक नाश्ता, लंच और डिनर करें। रात में 10 बजे तक सो जाएं। 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
1- तनाव-डिप्रेशन (STRESS-DEPRESSION)
महिलाओं की सेहत के लिए तनाव सबसे ज्यादा नुकसानदेय है। यह 74 प्रतिशत महिलाओं में होता है। अमरीकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिसर्च के अनुसार उम्र के साथ महिलाओं में तनाव बढ़ता है। 22 से 55 साल की कामकाजी महिलाएं काम और घर के तालमेल बिठाने के चलते तनाव में रहती हैं। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव भी प्रमुख कारण है। इससे डिप्रेशन, ओसीडी, डायबिटीज, थायरॉइड, अनिद्रा और हाई ब्लड प्रेशर की आशंका बढ़ती है। तनाव दूर करने के लिए नियमित 30 मिनट ध्यान, योग और व्यायाम करें। पौष्टिक भोजन लें।
2- थायरॉइड (THYRIOD)
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायरॉइड की समस्या ज्यादा होती है। गले में थायरॉइड की ग्रंथि होती है, जो टी-3 और टी-4 हार्मोन बनाती है। ये शरीर के कई अंगों के कार्य को नियंत्रित और नियमित करते हैं। इनसे अच्छी नींद, मजबूत पाचन तंत्र, मेटाबॉलिज्म, शरीर का तापमान नियंत्रित होता है। थायरॉइड हार्मोन का ज्यादा या कम बनना, दोनों ही स्थितियों में ठीक नहीं होता है। इस हॉर्मोन के ज्यादा बनने को हाइपर व कम बनने को हाइपो थायरॉइड कहते हैं। समय से पहचान व इलाज न होने पर यह कई बार ऑटो इम्यून डिजीज में परिवर्तित हो जाता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
3- हाई बीपी व हार्ट अटैक (HIGH BP-HEART STROKE)
एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 29 फीसदी महिलाओं की मौत का कारण हार्ट अटैक है। 35-40 की उम्र में वजन बढऩा, तनाव व गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी की समस्या बढ़ती है। शुरुआत में अनिद्रा, सीढिय़ां चढऩे में सांस फूलना, घबराहट, अच्छा न महसूस होने जैसे लक्षण दिखते हैं। मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन के कम बनने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। निष्क्रिय जीवनशैली, गलत खानपान, मोटापा व आनुवांशिक कारण भी हैं। प्रोसेस्ड व पैक्ड चीजों सॉस, ज्यूसेज व जंकफूड खाने से बचना चाहिए।
5- कोलेस्ट्रॉल (CHOLESTROL)
युवावस्था में कोलेस्ट्रॉल का स्तर का बढऩा और आगे चलकर हार्ट अटैक व हृदय रोगों के अन्य खतरे को बढ़ाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह तली-भुनी, जंक-फास्टफूड व पैक्ड चीजों को ज्यादा खाना है। इसके लिए रक्त संबंधी जांच लिपिड प्रोफाइल की जाती है। इससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जांचते हैं।
5- डायबिटीज
महिलाओं में गलत खानपान, अनिद्रा, मोटापे की वजह से डायबिटीज होती है। थकान, चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है तो चिकित्सक की परामर्श लेनी चाहिए। इससे हार्ट, किडनी संबंधित दिक्कतें भी बढ़ती हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज उन महिलाओं को होने की आशंका ज्यादा होती है जिनका वजन गर्भावस्था से पहले ज्यादा होता है।
6-ब्रेस्ट व सर्विक्स कैंसर (BREST-CERVIX CANCER)
महिलाओं में स्तन, गर्भाशय, आंतों का कैंसर सबसे ज्यादा होता है। इन कैंसर से मृत्यु दर भी अधिक है। ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए महिलाओं को खुद ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए। किसी चिकित्सक से परामर्श भी ले सकती हैं। यूरिनरी व अंगों के बार-बार के संक्रमण की अनदेखी न करें। इससे सर्विक्स कैंसर की आशंका बढ़ती है।
7- ऑस्टियोपोरोसिस (OSTEOPOROSIS)
40 की उम्र के बाद महिलाओं में जोड़ों व हड्डियों की दिक्कत शुरू हो जाती है। ऐसी महिलाएं जो 30-35 वर्ष की उम्र के बाद मोटापाग्रस्त होने लगती हैं उनमें 60 प्रतिशत को दिक्कत होती है। इसके अलावा गर्भावस्था के बाद महिलाओं में कैल्शियम व विटामिन डी की कमी बढ़ती है। बाजरा, रागी, कुलथी, सोयाबीन आहार में शामिल करें।
8- ऑटोइम्यून डिजीज (AUTO IMMUNE DISEASE)
इम्यून सिस्टम यानी प्रति रक्षा प्रणाली शरीर को बीमारियों व संक्रमण से बचाती है, लेकिन जब यह यह इम्यून सिस्टम ही स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगे तो इसे ऑटो इम्यून डिजीज कहते हैं। डायबिटीज, थायरॉइड सहित 80 बीमारियां शामिल हैं। यह बीमारी 30 प्रतिशत पुरुषों व 70 प्रतिशत महिलाओं में होती है।
एक्सपर्ट : डॉ. सुनिला खंडेलवाल, वरिष्ठ स्त्री रोग व मेनोपॉज एक्सपर्ट, जयपुर
एक्सपर्ट : डॉ. स्वाति अग्रवाल, फिजिशियन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर
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Source: Health
