डॉक्टर अब कोरोना पेशेंट की रिकवरी को इस तरह से करेंगे ट्रैक
शोध में उपयोग किए गए एक खास बैज के बारे में जॉन होपकिंस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का दावा है कि यह स्पीडोमीटर जैसे उपकरणों की तुलना में अधिक कारगर है जो एक्सेलेरोमीटर का उपयोग करते हैं।
जब कोई सर्जरी या कोविड-19 जैसी किसी महामारी का इलाज कर घर जाने के लिए तैयार हो तो घर जाने के उत्साह में वे अक्सर अपनी सेहत से जुड़ी कुछ बातों को छुपा लेते हैं ताकि उन्हें फिर से न रोक लिया जाए। वैज्ञानिकों ने अब इस समस्या का इलाज भी ढूंढ लिया है। वे एक खास तरह के नर्स बैज का इस्तेमाल कर घर पर रह रहे मरीज की सेहत और रिकवरी पर निगरानी रखने के बारे में सोच रहे हैं। कई अस्पतालों में नर्सें बैज पहनती हैं जो इन्फ्रांरेड प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं। इससे वे अस्पातल की छत पर लगे सेंसर से संपर्क में रहती हैं और उनकी लोकेशन का पता रहता है।
जॉन होपकिंस विश्वविद्यालय के डॉ. एंटनी रोसेन के नेतृत्व में अस्पताल की एक टीम ने यह देखने का फैसला किया कि क्या उसी तकनीक का इस्तेमाल मरीजों के पोस्ट-ऑपरेटिव वॉक की आवृत्ति, लंबाई और गति को ट्रैक करने के लिए भी किया जा सकता है? अध्ययन के लिए उन्होंने मिडमार्क कॉर्पोरेशन के बनाए आरटीएलएस (रियल टाइम लोकेशन सिस्टम) बैज का इस्तेमाल किया। ये बैज 63 वर्ष की औसत आयु के 100 पुरुष रोगियों के गाउन से जुड़े थे जिन्होंने शोध में भाग लेने के लिए सहमति व्यक्त की थी। अधिकतर रोगियों को कमरे से बाहर निकलकर गलियारों में तीन बार चलने के लिए कहा गया था। मोबिलिटी डेटा ने संकेत दिया कि डेटा का विश्लेषण रोगियों के 30 दिवसीय कार्यकलापों के बारे में अनुमान लगाने में 90 प्रतिशत तक सटीक साबित हुआ कि उन्हें घर भेजने के बीच कितनी अवधि तक अस्पताल में रहना होगा। डॉ. एंटनी रोसेन के इस शोध से कोरोना वायरस से संक्रमित रोगी और घर वापस जानेसे पहले उसकी सेहत मेंसुधार को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। हालांकि उसके लिए आरटीएलएस बैज में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत होगी।
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Source: Health