fbpx

क्रॉस कंट्री रेस में कृत्रिम पैर वाले बाइकर भी

कृत्रिम पैरों वाले दो मोटर साइक्लिस्ट विनोद रावत और अशोक मुन्ने दुनिया की सबसे ऊंची क्रॉस कंट्री इवेंट में भाग लेंगे। बाइक से हिमालय फतह करने का आगाज आठ अक्टूबर को लेह से शुरू होगा जो 14 अक्टूबर को कारगिल, जंसकार और लद्दाख सेक्टर से होते हुए गुजरेगी। रेस में 200 बाइकर्स हिस्सा लेंगे।

विनोद रावत जब छह साल के थे तब ट्रक की चपेट में आ गए। इस हादसे में इनका बायां पैर कट गया। 27 साल की उम्र में इन्हें कृत्रिम पैर जयपुर फुट लगाया गया था। इसके बाद ये चलने फिरने के साथ दौडऩे की प्रेक्टिस करने लगे। फिर इन्होंने बाइक चलानी सीखी। तब इन्हें अहसास हुआ कि ये भी वे सब काम कर सकते हैं जो एक सामान्य व्यक्ति करता है। 2004 में पहली बार मुंबई मैराथन में हिस्सा लिया और वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। 2010 में लेह लद्दाख में बादल फटने की घटना के बाद इन्होंने स्थानीय लोगों की मदद के लिए मुंबई से लद्दाख तक बाइक से अभियान चलाकर 18 लाख रुपए का फंड जुटाया था।

अशोक मुन्ने 32 साल के हैं और नागपुर के रहने वाले हैं। 2008 में हुए एक ट्रेन हादसे में इन्होंने अपना दाहिना पैर गवां दिया। पैर खोने के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान इन्होंने तय किया कि वे हार नहीं मानेंगे और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह करेंगे। 2009 में कृत्रिम पैर लगा जिसके बाद 2012 में नेपाल के माउंट मेरा पहाड़ी की 22,227 फीट की ऊंचाई को फतह किया था।

इन्हें पहाड़ों पर चढ़ाई के साथ बाइकिंग, स्विमिंग, मार्शल आट्र्स और जिम्नास्टिक पसंद है। ये मानते हैं कि इंसान अगर कुछ ठान ले और उसे करने के लिए मेहनत करना शुरू कर दे तो उसकी सफलता तय है। रेस को पूरा कर दोनों लोग चाहते हैं कि उन लोगों को कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित किया जाए जिससे वे कुछ बेहतर कर सकें। इन दोनों लोगों की तमन्ना है कि जो भी लोग इस तरह की तकलीफ से गुजर रहे हैं उनके जीवन को सुधारना है जिससे स्थिति बेहतर हो सके।


Source: Travel

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *