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सरसों के भाव तेज, रकबा बढऩे से उत्साहित किसान

नई दिल्ली। मुख्य तिलहनी फसल सरसों की बुवाई शुरू होने से पहले मौसमी दशाओं के साथ-साथ बाजार की परिस्थितियां भी अनुकूल है जिससे इसकी खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। साथ ही, सरसों के तेल में मिलावट पर लगी रोक से आगे की इसकी खपत भी बढऩे की संभावना है। वहीं, खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम करने के मकसद से सरकार मिशन मोड में सरसों समेत दूसरे तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 225 रुपए की बढ़ोतरी की गई है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून के आखिरी दौर में हुई बारिश से खेतों में नमी होने और सरसों का इस समय भाव रिकॉर्ड स्तर पर होने से किसान इसकी खेती करने के प्रति उत्साहित होंगे।
भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पी. के. राय ने बताया कि राजस्थान में सरसों उत्पादक इलाकों बीते एक पखवाड़े के दौरान हुई बारिश से सरसों की बुवाई के लिए खेतों में पर्याप्त नमी हो गई है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, देश के अन्य हिस्सों में भी सरसों की बुवाई के लिए खेतों में नमी के साथ-साथ मौसमी दशाएं अनुकूल है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा तय सरसों उत्पादन का लक्ष्य हासिल होने की पूरी उम्मीद है।
एफएसएसएआई द्वारा सरसों तेल में मिलावट पर रोक लगा दी गई है जो एक अक्टूबर से लागू है। जानकार बताते हैं कि इससे सरसों के शुद्ध तेल की मांग बढऩे से इसकी खपत भी बढ़ेगी। सरसों की बेंचमार्क मंडी जयपुर में सरसों का भाव 5635 रुपए क्विंटल था, जोकि बीते फसल वर्ष में सरसों के एमएसपी से 1210 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है। वहीं, वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज पर बीते सत्र में सरसों का भाव 5534 रुपए प्रति क्विंटल तक उछला, जोकि रिकॉर्ड स्तर है।
सरसों कारोबारियों का कहना है कि सरसों का भाव इस समय अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर है और केंद्र सरकार ने आगामी रबी सीजन के लिए सरसों का एमएसएपी 225 रुपए बढ़ाकर 4650 रुपए कर दिया है, जिससे किसान उत्साहित होंगे। उन्होंने कहा कि बुवाई के समय जिस फसल का भाव ऊंचा होता है उसकी खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ जाती है।
त्योहारी सीजन में बिहार और बंगाल में सरसों तेल की मांग बढ़ जाती है इसलिए तेल के साथ-साथ सरसों में भी जबरदस्त तेजी आई है। स्टॉक हालांकि पर्याप्त है, मगर मांग बढऩे की सूरत में कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है। व्यापारिक अनुमान के अनुसार, देश में 30 सितंबर तक सरसों का करीब 21.50 लाख टन बचा हुआ है, जोकि नई फसल आने तक के लिए पर्याप्त है।
सरसों तेल में मिलावट पर रोक लगने देश में सरसों के शुद्ध तेल की मांग बढ़़ सकती है, क्योंकि विशेषज्ञ बताते हैं कि खाने-पीने की चीजों में शुद्धता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। देश में सरसों की खेती राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के अलावा अन्य प्रांतों में भी होती है और इस महीने के दूसरे पखवाड़े में कई जगहों पर इसकी बुवाई शुरू हो जाएगी।



Source: Education