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RBI की वार्षिक रिपोर्ट: बैंक धोखाधड़ी के मामले बढ़े, इमरजेंसी फंड में सिर्फ 1.96 लाख करोड़ रुपए

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को अपनी सालाना रिपोर्ट 2018-19 जारी कर दी है। रिपोर्ट में बैंक धोखाधड़ी के मामले बढ़ने का जिक्र किया है। साथ ही आकास्मिक कोष के बारे में जानकारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल बैंक धोखाधड़ी के मामलों में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2018-19 में बैंक धोखाधड़ी की राशि 73.8 प्रतिशत बढ़कर 71,542.93 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।

71 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी, 6801 मामले सामने आए
आरबीआई की सालाना जारी रिपोर्ट में बैंकों में धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए, इनमें 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। इसके साथ ही एनबीएफसी से कॉमर्शिल क्षेत्र को ऋण प्रवाह (लोन फ्लो) 20 फीसदी तक घट गया है। देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपए पर पहुंची है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त हो गई हैं, इसे पटरी पर लाने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है।

आरबीआई की इस रिपोर्ट में 500 रुपए वाला नोट के चलन के बारे में जिक्र किया गया है। बताया गया है कि 500 के नोट की मांग सबसे अधिक है और वर्तमान मुद्रा व्यवस्था में प्रचलित नोटों में 500 रुपए के नोट की हिस्सेदारी 51 फीसदी है। बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हर साल यह रिपोर्ट जारी करती है। इसमें केंद्रीय बैंक के कामकाज और संचालन के विश्लेषण के साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं।

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रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि अधिशेष कोष से सरकार को 52367 करोड़ रुपये देने के बाद आरबीआई के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपए की राशि शेष रह गई है। साथ ही कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं के चलते राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहन की क्षमता में कमी आई है।

NPA घटकर 9.1 प्रतिशत रहा
हालांकि केंद्रीय बैंक की सालाना रिपोर्ट में एनपीए घटने की जानकारी दी गई है। बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से वित्त वर्ष 2018- 19 में बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां उनके कुल कर्ज का 9.1 प्रतिशत पर काबू पाने में मदद मिली है जो पिछले साल 11.2 प्रतिशत थी।


Source: Business

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