शंख ध्वनि की गूंज, खूब फूटे पटाखे, भगवान को हाथों में लेकर नवदंपतियों ने लिए 7 फेरे
रायपुर. कार्तिक मास शुक्लपक्ष की प्रबोधनी एकादशी पर बुधवार को शहरभर में छोटी दिवाली के रूप में मनी। घर-घर तुलसी चौरा पर गन्ने का मंडप सजा और द्वार-द्वार रंगोली सजी। दिवाली जेसा ही कोना-कोना दीप मालाओं से जगमग हुआ। शंख ध्वनि की गूंज, जमकर आतिशबाजी के बीच भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की रस्में दम्पतियों ने हाथों मं लेकर सात फेरे के साथ संपन्न किया और पांच प्रकार के फल और सब्जियां अर्पित किया। इस उत्सव के साथ सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों का शुभमुहूर्त प्रारंभ हुआ।
शहर के मुख्य बाजारों के अलावा मुख्य सड़कों ओवरब्रिजों के नीचे और मोहल्ले और कॉलोनी क्षेत्रों के बाजारों में दिवाली जैसा माहौल सुबह रहा। जगह-जगह गन्ने की खेप, फूल, मिट्टी के दीये खरीदने के लिए लोग पहुंचते रहे। देव उठनी एकादशी का व्रत रखकर लोग भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह रचाने के जश्न में डूबे हुए थे। तेयारियां पूरी कर शाम होते हुए मंगल गीतों गाते हुए, शंख ध्वनि के बीच तुलसी चौरा पर भगवान का विवाह विधि-विधान से संपन्न कर दम्पतियां ने सुख-समृद्धि की कामना की। भगवान के विवाह की रस्में पूरी करने के बाद अपने आसपास प्रसाद बांटकर खुशियों का इजहार किया। देर रात तक छोटे-बड़े पटाखे फोड़कर जश्न मनाते रहे।
अब आंवला खाने का सीजन
माता तुलसी के विवाह पूजन के साथ ही बाजार में अब आंवला की खेप आएगी। ऐसी मान्यता है कि एकादशी तिथि से ही आंवला खाया जाता है। इसके साथ आंवले का सीजन शुरू होता है।
200 रुपए जोड़ी बिका गन्ना
शहर में जगह-जगह गन्ने की खेप बड़ी मात्रा में पहुंची। तुलसी विवाह मान्यता को देखते हुए 80 रुपए से लेकर 200 रुपए जोड़ी तक गन्ना लोग खरीदते रहे। इसी तरह 200 रुपए किलो चनाभाजी और सिंघाड़ा 40 रुपए बिका। पूजन सामग्री की दुकानों में लोगों की खासी भीड़ लगी रही।
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