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6 महीने के बाद नर्मदा से निकलकर श्री दत्त भगवान ने दिए दर्शन

बड़वानी. प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा पर बने सरदार सरोवर बांध का बेकवाटर अब भी जिले के तटीय क्षेत्रों में फैला हुआ है। हालांकि अब इसमें कमी आने लगी है। बीते सप्ताहभर में जलस्तर एक मीटर के लगभग कम हुआ है। इससे अब राजघाट तट पर मौजूद प्राचीन श्री दत्त मंदिर और पार्वतीबाई धर्मशाला सहित मंदिर नजर आने लगे है। गत वर्ष सितंबर माह से डूबा मंदिर खुलने से श्री दत्त भगवान के दर्शन अब होने लगे है।
गत वर्ष बांध को पूर्ण भरने के बाद सितंबर में यहां जलस्तर 138 मीटर तक पहुंचा था। इस दौरान तटीय क्षेत्रों में दो से तीन किमी के दायरे में बेकवाटर फैला था। शहर के समीप प्राचीन रोहिणी तीर्थ राजघाट की बात करें तो जलस्तर कम होने के बाद अब यहां मकान-ुदुकान पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। पार्वती बाई धर्मशाला क्षतिग्रस्त दिख रही है। हालांकि प्राचीन दत्त मंदिर अब भी मजबूती से खड़ा है।
दो किमी तक फैला था बैकवॉटर
बीते वर्ष अगस्त माह तक राजघाट में सबकुछ सामान्य नजर आ रहा था। इसके बाद नर्मदा का जलस्तर खतरे के निशान से चढऩे लगा। वहीं सितंबर माह तक पूरा तटीय क्षेत्र जलमग्न हो गया। इस दौरान राजघाट से बड़वानी और चिखल्दा-धार के दोनों छोर पर करीब दो किमी तक बेकवाटर फैला था। वर्तमान में बड़वानी से राजघाट का सड़क संपर्क कटा हुआ है। एक रपट पर अब भी ढाई-तीन फीट पानी चढ़ा हुआ है।
प्राकृतिक क्षति दिख रही
डूब के बाद गांव के मकान-दुकान सहित रहवासी इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए। हालांकि राजघाट गांव वर्ष 2017 में भी डूबा था, लेकिन गत वर्ष डूब पूर्ण रुप से रही। इससे अब जलस्तर घटने के बाद चहुंओर बर्बादी की तस्वीर नजर आने लगी है। मानव निर्मित कृतियों की नुकसानी के साथ प्राकृतिक क्षति भी नजर आने लगी है। वर्षांे पुराने हरे-भरे पेड़ सूख चुके है। वहीं जो पेड़ टिके हैं, वे कमजोर हो चुके हैं, उनके कभी भी धराशायी होने का खतरा बढऩे लगा है।
डूब में टिके रहे टापू के लोग
गांव में पूरी तरह डूब के बावजूद टापू क्षेत्र में रहने वाले कई परिवार अपनी मांगों को लेकर डटे रहे। अब जलस्तर कम होने से खेती-किसानी भी करने लगे है। टापू पर रहने वाले देवेंद्र सोलंकी के अनुसार डूब से पूर्व जमीन-मुआवजे का निराकरण नहीं होने से कई परिवार टापू पर डटे है। वर्ष 2019 में हमें डूब का डर दिखाकर टिनशेड में ले गए थे, लेकिन कोई निराकरण की स्थिति नहीं दिखने पर इस बार डूब को चुनौती देते हुए घर-आंगन नहीं छोड़ा। जब तक मुआवजा-प्लॉट का निराकरण नहीं होता, यहीं डटे रहेंगे।
बसाहटों में हाल बेहाल
वहीं डूब के बाद शासन-प्रशासन द्वारा बसाहटों का निर्माण तो किया, लेकिन अब भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाई है। शहर सहित जिले में बनाई बसाहटों में बिजली, पानी, सड़क जैसे बिंदूओं को लेकर आए दिन प्रभावित जिम्मेदारों से गुहार लगाते है। शहर से सटी कुकरा-भीलखेड़ा बसाहट में ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल संकट की चिंता लोगों को सताने लगी है।



Source: Education