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24 घंटे में कोरोना जांच रिपोर्ट नहीं देने पर हो कार्रवाई

बेंगलूरु. राज्य में कोरोना की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट मिलने में हो रही देरी को पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक बार फिर सरकार की खिंचाई की। अदालत ने सरकार को २४ घंटे में जांच रिपोर्ट नहीं देने वाले प्रयोगशालाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओक और न्यायाधीश अरविंद कुमार की पीठ ने एक वकील के 52 घंटे बाद भी आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट नहीं मिलने का जिक्र करने पर ये निर्देश दिए। इससे पहले अदालत ने 24 घंटे में रिपोर्ट जारी करने को लेकर निर्देश दिए थे। अदालत के निर्देश के आधार पर राज्य सरकार ने बुधवार को प्रयोगशालाओं को इस बारे में आदेश जारी किए थे। अदालत कोरोना मरीजों को दवा और अस्पताल में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन आपूर्ति से जुड़े मामले को लेकर भी सरकार को निर्देश दिए। अदालत ने गर्भवती महिलाओं व गैर कोरोना गंभीर रोगियों को बिना आरटी-पीसीआर रिपोर्ट अस्पतालों में भर्ती करने में आ रही दिक्कतों पर भी सरकार को निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि बिना लक्षण वाले वैसे मरीजों को जिन्हें उपचार के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती किया जाना जरुरी हो, उन्हें कोरोना जांच रिपोर्ट से छूट दी जानी चाहिए। जांच नमूना संग्रहण में वरिष्ठ जनों और गर्भवती महिलाओं के लिए अलग कतार की व्यवस्था की जानी चाहिए।

अस्पताल में भर्ती एक अधिवक्ता के रेमडेसिविर की कालाबाजारी के कारण अनुपलब्धता के मसले को लेकर दिए गए ज्ञापन पर अदालत ने कहा कि अगर कोई मरीज कालाबाजारी के कारण दवा खरीद पाने में असमर्थ है और राज्य सरकार इसे रोकने के लिए समुचित कार्रवाई नहीं करती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मरीज को प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने सरकार को हर दिन 12 घंटे के अंतराल पर राज्य में स्टॉकिस्टों के पास रेमडेसिविर के उपलब्ध भंडार के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के निर्देश दिए। अदालत ने सरकार को अस्पतालों मे ऑक्सीजन की आपूर्ति और मरीजों को बिस्तर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही शवों के अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए। मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी। अदालत ने एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कोरोना महामारी के दौर में बुजुर्गों को सहायता और राहत उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।



Source: Education