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पशुपालन विभाग के कार्मिकों पर भारी कोविड, 10 से अधिक कार्मिकों की मौत

जयपुर,7 मई

केस एक
पाली में पशुचिकित्सा सहायक के पद पर कार्यरत दीनदयाल पायक की पिछले दिनों से मृत्यु हुई। हाल ही उनकी पत्नी कौशल्या का निधन भी कोविड से हो गया।
केस दो
कोटा स्थित कनवास चिकित्सालय में पशुधन सहायक ओमप्रकाश लिलेरिया ड्यूटी के दौरान कोविड पॉजिटिव हो गए थे। पांच दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद भी अपनी जिंदगी की जंग हार गए।

कोविड के दौरान ड्यूटी करने से पशुपालन विभाग में कार्यरत 10 से अधिक कार्मिक, जिनमें वेटरनरी डॉक्टर्स, पशु चिकित्सा कर्मी, पशुधन सहायक और परिचर शामिल हैं की मृत्यु हो चुकी है। नोडल अजमेर में पशु चिकित्सालय पहाडग़ंज में एलएसए इंदुबाला शर्मा, नावां नोडल के उपकेंद्र लूणवा में कार्यरत गोमा राट जाट, टोंक में पशुधन सहायक आशाराम मीणा, प्रतापगढ़ के पशु चिकित्सा सहायक महिपाल, उदयपुर के पशु चिकित्सा सहायक वीरभद्र सिंह और भरतपुर के नोडल कामां के पशुधन परिचर करतार सिंह,उदयपुर जिले के प्रथमश्रेणी पशु चिकित्सालय भबराना में कार्यरत पशुचिकित्सा सहायक वीरभद्र सिंह, बांसवाड़ा केछीच नोडल-बागीदोरा पशु चिकित्सालय कार्यरत पशुधन सहायक कांतिलाल डामोर और बूंदी के राजकीय पशु चिकित्सालय गरड़दा में कार्यरत पशु चिकित्सक डाॅ. नरेश नागर कोविड से अपनी जिंदगी की जंग हार चुके हैं और सैकड़ों कार्मिक कोविड पॉजिटिव हैं। विभाग में लगातार हो रही कार्मिकों की मृत्यु को देखते हुए राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने इनके परिजनों के साथ ही अन्य कार्मिकों के लिए गुहार लगाई है। संघ के महामंत्री अर्जुन शर्मा ने कहा कि कार्मिक बिना बचाव के तरीके अपनाए कोविड की शुरुआत से काम कर रहे हैं। यदि उनसे काम करवाना ही था तो पहले उनकी जांच और वैक्सीनेशन होना चाहिए।
असंवेदनशील पशुपालन मंत्री
शर्मा ने कहा कि राज्य के विभिन्न भागों में काम के दौरान कोविड पॉजिटिव होकर 10 कार्मिकों की मौत हो चुकी है लेकिन पशु पालन मंत्री मौन हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वह मौत के आंकड़ों से संतुष्ट नहीं हैं। कार्मिकों के प्रति उनकी यह असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। शर्मा ने कहा कि संघ ने मानवाधिकार आयोग और उच्च न्यायालय से भी इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
उनका कहना था कि कोविड की शुरुआत से ही अपनी जान जोखिम में डालकर डोर टू डोर जाकर पशुपालकों के घर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, ऐसे में उनका सीधा सम्पर्क पशुपालकों से हो रहा है और कोविड संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है। फ्रंटलाइन वर्कर का 50 लाख रुपए का बीमा, संक्रमित होने पर 30 दिन का अवकाश आदि चिकित्सा कर्मी और पुलिसकर्मियों को मिल रहे हैं वह सभी पशु चिकित्सा कर्मियों को भी मिलने चाहिए।
यह है मांगें
: निदेशक पशुपालन को निलम्बित किया जाए। कार्मिकों की मौत की उच्च स्तरीय जांच हो।
: कार्मिकों को जीवन रक्षा संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं।
: कोविड से मृत कार्मिकों के परिजनों को 50 लाख रुपए अनुग्रह राशि उपलब्ध करवाई जाए
: कैम्प लगाकर कार्मिकों का वैक्सीनेशन करवाया जाए।
: कोविड पॉजिटिव कार्मिकों को आवास, भोजन, चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाई जाएं जिससे उनके परिवार सुरक्षित रहें।
संघ के महामंत्री अर्जुन शर्मा ने कहा कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्यवाही नहीं की गई तो संघ कभी भी राज्य व्यापी कार्य बहिष्कार कर सकता है और इससे पशुपालकों को होने वाली असुविधा के लिए सरकार जिम्मेदार होगी।



Source: Education