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माता-पिता की जान बचाने को खरीदे थे रेमडेसिविर इंजेक्शन, काम नहीं आए तो वापस बेचते पुलिस के हत्थे चढ़ी दो बहनें

ajmer अजमेर. कोरोना संक्रमण से एक ओर मरीजों की मौतें थम नहीं रही। हर रोज पॉजिटिव रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इन सबके बीच कुछ लोग ऑक्सीजन सिलेण्डर से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर मानवता को शर्मसार कर रहे हैं।

अजमेर पुलिस ने शुक्रवार को ऐसा ही एक मामला पकड़ा है। अपने माता-पिता के कोरोना संक्रमित होने पर दो बेटियों ने कालाबाजारी से रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने पड़ गए। बाद में यह इंजेक्शन काम नहीं आए तो खरीदे गए दाम पर ही इंजेक्शन बेचने का प्रयास किया। इस दौरान शुक्रवार शाम पुलिस ने दो युवतियों का पकड़ लिया। जांच पड़ताल के बाद बहनों ने एमआर से कालाबाजारी से इंजेक्शन खरीदना कबूला। सिविल लाइंस थाना पुलिस ने बहनों की रिपोर्ट पर आरोपी एमआर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तलाश शुरू कर दी।

एक इंजेक्शन की कीमत 23 हजार

पुलिस के अनुसार शुक्रवार दोपहर फायसागर निवासी रालोपा के शहर अध्यक्ष आशीष सोनी को जानकारी मिली कि दो युवतियां 23 हजार रुपए में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रही है। सोनी ने मामले का खुलासा करने के लिए युवतियों को फोन किया तो वह अजमेर क्लब के पास आ गई। उन्होंने तीन इंजेक्शन निकाले और एक इंजेक्शन 23 हजार रुपए का बताया। सोनी ने युवतियों से इंजेक्शन को लेकर हुई सौदेबाजी को सोशल मीडिया पर लाइव कर दिया। साथ ही पुलिस को सूचना दे दी। यहां पहुंची पुलिस कोटड़ा निवासी भूमिका व प्रियंका को थाने ले गई।

एमआर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

पूछताछ में इंजेक्शन की कालाबाजारी के रैकेट का खुलासा हुआ। पड़ताल में सामने आया कि युवतियों ने माता-पिता के लिए गुलाबबाड़ी निवासी एमआर पीयूष से रेमडेसिविर इंजेक्शन महंगे दाम में खरीदे थे। इंजेक्शन काम नहीं आने पर उन्होंने खरीद मूल्य पर बेचने का प्रयास किया तो पुलिस के हत्थे चढ़ गई। उनकी रिपोर्ट पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने पीयूष के खिलाफ कालाबाजारी का मुकदमा दर्ज किया है।

सोशल मीडिया पर खुलासा

मामले को सोशल मीडिया पर लाइव करने वाले सोनी के अनुसार शुक्रवार सुबह उसके एक मित्र ने फोन पर बेटे के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत बताई। काफी प्रयास के बाद भी इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं हुई। देर शाम मित्र ने बताया कि उसने 23 हजार रुपए में इंजेक्शन खरीद लिया है। पूछने पर उसने बताया कि दो युवतियां कार में इंजेक्शन देने आई थी। इस पर सोनी ने युवतियों को पकडऩे की योजना बनाई और उन्हें रेमडेसिविर के लिए फोन किया।

माता-पिता की बचानी थी जान

दोनों बहनें सरकारी नौकरी करती है। एक राष्ट्रीकृत बैंक में है तो दूसरी शिक्षिका है। उन्होंने पुलिस को बताया कि माता-पिता गत दिनों कोरोना पॉजिटिव हुए तो एक रेमडेसिविर इंजेक्शन 23 हजार रुपए के हिसाब से खरीने पड़ गए। बाद में यह इंजेक्शन काम नहीं आए तो पुन: उसी दाम में इंजेक्शन बेचने का प्रयास किया।

पहले नर्सिंग छात्र पकड़ा गया था

गत एक मई को एसओजी ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को अजमेर से एक नर्सिग छात्र राहुल शर्मा को गिरफ्तार किया था। तभी यहां एक एमआर का नाम सामने आया था। एसओजी ने उसको हिरासत में लिया लेकिन पुख्ता सबूत नहीं होने पर छोड़ दिया। भूमिका-प्रियंका ने भी अजमेर में गुलाबबाड़ी निवासी एमआर पीयूष के जरिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद करना कबूल किया। गिरोह जोधपुर, अजमेर और सिरोही में इंजेक्शन मेडिकल स्टोर संचालकों के माध्यम से बेचकर मुनाफा कमाता था।

आरोपी की तलाश

जिला पुलिस अधीक्षक जगदीशचन्द्र शर्मा के अनुसार रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की सूचना पर पुलिस ने दो युवतियों को पकड़ा। युवतियों के बयान व रिपोर्ट देने पर एमआर के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है। आरोपी की तलाश की जा रही है।



Source: Education