कोरोना मरीजों को एस्प्रीन दवा से लाभ नहीं होता, रिसर्च में हुआ खुलासा
एस्प्रीन दवा का इस्तेमाल सिर दर्द, गठिया से होने वाली मामूली जकडऩ और दर्द आदि में किया जाता है। दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने या हृदय रोग में खून को पतला करने के लिए भी इसका उपयोग करते हैं। पहले कई रिसर्च में दावा किया गया था कि कोरोना के मरीजों में पोस्ट रिकवरी इसको देने से लाभ मिलता है। लेकिन हाल ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए शोध में कहा गया है कि इसका लाभ नहीं है।
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर पीटर हार्वे और उनकी टीम ने अध्ययन में पाया है कि इसका असर नहीं हो रहा है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव सिंघल का कहना है कि एस्प्रीन एंटीप्लेटलेट्स दवा है। यह खून के थक्का बनने को सीधे तौर पर कम नहीं करती है बल्कि खून को पतला करती है जबकि कोरोना के गंभीर मरीजों में खून के थक्का बनने की आशंका रहती है। ऐसे में एस्प्रीन का उपयोग सही नहीं है।
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डॉ. सिंघल का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बिना डॉक्टरी सलाह के इसको लेता है तो आंतों और दिमाग में खून के रिसाव (ब्रने हैमरेज) की आशंका रहती है। खून के अधिक रिसाव से जीवन का भी खतरा रहता है।
उल्लेखनीय है कि इस वक्त पूरे विश्व में कोरोना की त्वरित रोकथाम के लिए डॉक्टर असरकारक दवाईयों की खोज कर रहे हैं। हालांकि यदि मरीज सही समय पर डॉक्टर से सलाह लें तथा इलाज शुरू कर दें तो उसके बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। परन्तु कोरोना वायरस में लगातार हो रहे म्यूटेशन के चलते वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स एक ऐसी दवा ढूंढना चाहते हैं जो आपातकाल में भी प्रभावकारी सिद्ध हो सके और मरीज की जान बचा सके।
Source: Health