Tokyo Olympics 2020 : कभी कद-काठी को लेकर सुने लोगों के ताने, आज इतिहास रचने की दहलीज पर कमलप्रीत कौर
Tokyo Olympics 2020 भारतीय महिला हॉकी टीम के बाद सोमवार शाम को डिस्कस थ्रो में भारत की बेटी कमलप्रीत कौर (Kamalpreet Kaur) के पास इतिहास रचने सुनहरा मौका है। कमलप्रीत थ्रो के फाइनल में उतरेंगी। अगर वह मेडल जीतती हैं तो डिस्कस थ्रो में यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला बन जाएंगी।
क्वालिफिकेशन राउंड में कमलप्रीत ने फेंका था 60 मीटर दूर चक्का
25 वर्षीय कमलप्रीत ने क्वालिफिकेशन राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए 64 मीटर दूर चक्का फेंका था। इस तरह वह दूसरे नंबर पर रही थीं। इस इवेंट में हिस्सा लेने वाली 31 खिलाड़ियों में से सिर्फ दो ने ही सीधे फाइनल में प्रवेश किया था। इसमें से एक हैं कमलप्रीत।
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65.06 मीटर चक्का फेंक किया ओलंपिक के लिए क्वालीफाई
कमलप्रीत कौर ने इस साल मार्च में फेडरेशन कप में 65.06 मीटर चक्का फेंककर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। फिर 21 जून को इंडियन ग्रां प्री फोर में 66.59 मीटर थ्रो कर अपने ही रिकॉर्ड में सुधार किया था।
वजन और कद-काठी को लेकर सुने लोगों के ताने
पंजाब के मुक्तसर जिले छोटे से गांव बादल की रहने वाली कमलप्रीत कौर ने वजह ज्यादा होने के चलते रिश्तदारों और साथियों से खूब ताने सुने हैं। वो पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थीं, लेकिन खेल में उनका रूझान शुरू से ही रहा है। उनके बादल गांव में एक स्पोर्ट्स सेंटर था। जहां से उनके खेल कॅरियर की शुरुआत हुई। शुरुआत में वो शॉट पुटर थीं, लेकिन डिस्कस थ्रोअर कोच प्रीतपाल मारू की सलाह के बाद वह डिस्कस थ्रोअर बन गईं।
शादी के दवाब को दरकिनार कर सपने को किया पूरा
कमलप्रीत के माता—पिता चाहते थे कि बेटी पढ़ लिख ले तो उसकी शादी हो जाए। लेकिन कमलप्रीत कौर ने खेल के साथ—साथ पढ़ाई में भी ध्यान दिया और कॉलेज में एडमिशन लिया। अगर वह ऐसा नहीं कर पाती तो उनकी जिंदगी भी दूसरी लड़कियों जैसी ही होती। लेकिन वह अपने लक्ष्य पर अडीग रही। कमलप्रीत कौर ने पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि मैंने सोचा कि खेल ही मेरी नौकरी और शादी से बचने का टिकट होगा और हकीकत सबके सामने हैं।
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मां नहीं चाहती थीं कि कमलप्रीत एथलेक्टिस बनें
कमलप्रीत ने बताया था कि उनकी मां नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी एथलेक्टिस में कॅरियर बनाए। लेकिन मेरे पिता ने मेरा पूरा साथ दिया। जब मैं नेशनल लेवल पर पदक जीतने लगी तो मेरे परिवार का हौंसला बढ़ा। 25 साल कमलप्रीत ने 2013 में बेंगलुरू में हुए जूनियर नेशनल में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2017 के विश्व यूनिवर्सिटी गेम्स में वो छठे और 2019 में दोहा में हुई एशियन एथलेक्टिस चैम्पियनशिप में वो पांचवें पायदान पर रहीं।
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