कोरोनकाल: देहदान में जागृति, पिछड़ गया नेत्रदान
राजेश दीक्षित
जोधपुर. कोरोना ने देहदान और नेत्रदान को काफी प्रभावित किया है। देहदान के प्रति तो फिर भी लोगों में जागृति बनी रही, लेकिन नेत्रदान नहीं हो पाया। अप्रेल 2020 से लेकर सितम्बर 2021 तक यानी पिछले 18 माह में जोधपुर में जहां 11 देहदान हुए, वहीं नेत्रदान मात्र 2 हो पाए हैं। मार्च-अप्रेल 2020 से कोरोना ने तेज रफ्तार पकड़ ली थी। ऐसे में देहदान व नेत्रदान बंद हो गए। बाद में जब-जब कोरोना की रफ्तार ढीली पड़ी तो देहदान शुरू हो गया, लेकिन नेत्रदान ठप रहा। फिलहाल नेत्र तकनीशियन नहीं होने से अक्टूबर में भी नेत्रदान नहीं हो पाएगा।
जोधपुर में देहदान का यूं बढ़ता गया जज्बा
जोधपुर में सबसे पहले वर्ष 2004 में देहदान हुआ था। इसके बाद वर्ष 2012 तक इसकी रफ्तार बहुत ही धीमी रही। जनवरी 2013 में ‘राजस्थान पत्रिकाÓ ने ‘देहदान करो हो जाओ अमरÓ अभियान चलाया। इस अभियान के माध्यम से शहरवासियों को देहदान के प्रति जागरूक किया। इसके अलावा देहदान काउंसलर मनोज मेहता पिछले लम्बे समय से देहदान जागृति में जुटे हैं।
जोधपुर में अब तक कुल देहदान–293
एम्स–136
मेडिकल कॉलेज–157
आप तो बस संकल्प करो, हर उम्र में देहदान
कम उम्र में
-6 जून 2019 को तीन वर्षीय बेबी ज्योति का देहदान हुआ।
अधिक उम्र में…
-21 दिसम्बर 2019 को भी चौपासनी हाउसिंग बोर्ड निवासी 100 वर्षीय मोहनदास का देहदान
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क्या कहते हैं काउंसलर…..
अब लक्ष्य हर साल 100 देहदान का
देहदान के प्रति जबरदस्त क्रेज है। वर्ष 2018 व वर्ष 2019 में तो आंकड़ा 40 देहदान तक पहुंच गया। देहदान केवल मेडिकल छात्रों की पढ़ाई में काम नहीं आता है, बल्कि दान के प्रति आपकी सोच भी बताता है। अब यही कोशिश यही है कि आने वाले वर्षों में जोधपुर में हर साल देहदान का आंकड़ा 100 पहुंचे।
-मनोज मेहता, देहदान काउंसलर
फिलहाल नेत्रदान बंद
-इन दिनों नेत्रदान पूरी तरह से बंद है। पहले कोराना के कारण बंद रहा है। अब सोसायटी के पास जो नेत्र टैक्नीशियन था, नया रखा है। उसे ट्रेनिंग दे रहे हैं। अक्टूबर अंत तक ही जोधपुर में नेत्रदान की सुविधा मिल पाएगी।
– राजेन्द्र जैन, अध्यक्ष, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान, जोधपुर चैप्टर।
Source: Education