बंदियों की अपनों से मिलाई में प्रोटोकॉल की दीवार
तरूण कश्यप
अजमेर. प्रदेश में कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन की पाबंदियां तो खत्म कर दी गई हैं लेकिन जेल में बंद कई कैदियों की खुशियां अब भी लॉक हैं। कई बंदी ऐसे हैं जो पिछले पौने दो साल से अपने परिजन से मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन प्रोटोकॉल की अनिवार्यता पूरी नहीं कर पाने के कारण कई परिजन मिलाई नहीं कर पा रहे। जेल की सलाखों के पीछे से इन बंदियों की निगाहें जेल के दरवाजे को ताकती रहती हैं। दिल में अपनों से दूरी का गम दबाए बैठे यह बंदी इस उम्मीद में हैं कि जल्द उनके परिजन प्रोटोकॉल पूरा करें और उनका अपनों से मिलाई का वक्त आए।
राज्य सरकार के आदेश पर पिछले दिनों ही बदियों की परिजन से मिलाई की व्यवस्था फिर से शुरू की गई है। कोरोना के बाद मार्च 2020 से बंदियों का अपने परिजन से मिलना बंद था। कैदियों से मुलाकात को लेकर पिछले दिनों कारागार निदेशालय की ओर से आदेश जारी किया गया। इसके तहत बंदियों की परिजन से मिलाई व्यवस्था को फिर शुरू करने के आदेश हैं। इसके लिए बाकायदा कुछ प्रोटोकॉल बनाए गए हैं। गौरतलब है कि अजमेर जेल में तकरीबन एक हजार बंदी हैं। वहीं हाई सिक्योरिटी जेल में करीब 50 के आसपास बंदी हैं।
यह है प्रोटोकॉल
अब कैदियों से मुलाकात के दौरान परिजन को टीकाकरण की दोनों डोज लगे होने का प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य किया गया है। इसी को लेकर बंदियो के परिजन डोज लगवाने और प्रमाण पत्र हासिल करने को लेकर भाग दौड़ में लग गए हैं। दोनों डोज नहीं लगने की स्थिति में परिजन बंदियों से मुलाकात नहीं कर पाएंगे। नए प्रोटोकॉल के तहत विचाराधीन बंदियों को पंद्रह दिन में एक बार और सजायाफ्ता बंदियों को महीने में एक बार परिजन से मिलाया जाएगा। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। परिजन को ग्लब्ज और मास्क पहनने पर मिलाई कक्ष में प्रवेश देना तय किया गया है। इस दौरान सैनिटाइजेशन की समुचित व्यवस्था जेल प्रशासन की तरफ से करवाई जाएगी।
समय भी घटाया
बंदियों और परिजन को सबसे ज्यादा चिंता मिलाई के समय को लेकर है। नए प्रोटोकॉल में मिलाई का समय मात्र पंद्रह मिनट का दिया गया है। आम दिनों में एक बंदी को अपने परिजन से मुलाकात के लिए ४५ मिनट मिलते थे। वहीं पहले तीन परिजन बंदी से मिल सकते थे अब परिवार का केवल एक सदस्य मिल सकेगा।
जेल प्रशासन सजग
जेल प्रशासन ने बंदियों से परिजन की मुलाकात की व्यवस्था फिर से शुरू तो करा दी है लेकिन तीसरी लहर के आहट को देखते हुए जेल प्रशासन पूरी तरह से सजगता बरत रहा है। पिछले डेढ़ साल से बंद मिलाई फिर से शुरू होने से बंदियों को काफी सुकून मिला है क्योंकि बीते डेढ़ साल के दौरान वह अपने परिजन से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल पा रहे थे। जेल प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई गई फोन व्यवस्था ही परिजन से बातचीत का जरिया थी।
बंदियों के हित में
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश की कुछ जेलों में बंदियों के कोरोना से ग्रस्त होने के मामले सामने आए थे। एेसे में जेल प्रशासन ने सावधानी बरतते हुए बंदियों की परिजन से मिलाई पर रोक लगा दी। साथ ही जेल में बंदियों के वैक्सीनेशन का इंतजाम किया। इससे जेल में कोरोना फैलने पर रोक लगाई जा सकी। कोई बाहरी जेल में कोरोना का वायरस न पहुंचा दे, इसके चलते पूरी सावधानी बरती जा रही है। यहां तक की गिरफ्तारी के बाद कोरोना की जांच कराई जाती है। रिपोर्ट आने तक विचाराधीन बंदी को अलग रख जाता है। रिपोर्ट निगेटिव होने पर जेल मेन्युअन के अनुसार दाखिला मिलता है।
इनका कहना है…
मुख्यालय ने जेल में बंदियों की परिजन से मुलाकात के नए प्रोटोकॉल निर्धारित किए हैं। गत ११ नवम्बर से बंदियों की परिजन से मुलाकात शुरू की गई है। परिजन नियमानुसार ही बंदियों से मुलाकात कर सकेंगे।
प्रीति चौधरी, जेल अधीक्षक
Source: Education