हम तो जागे हैं, लेकिन प्रशासन कब जागेगा
राजाखेड़ा. क्षेत्र में अनियंत्रित होता अतिक्रमण और पीडि़त आम आदमी के बीच क्षेत्र के प्रबुद्ध वकीलों के आगे आने के बाद अतिक्रमण का मुद्दा आग बनता जा रहा है। जिससे विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष भी बुरी तरह पीडि़त है, लेकिन इस पर आगे बढ़कर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार नगरपालिका और उपखंड प्रशासन अब तक आगे नहीं आए हैं न ही जिला प्रशासन अब तक कोई कड़ा निर्देश उन्हें दे पाया है। ऐसे में एक बार फिर क्षेत्र की 50 हजार से अधिक की शहरी आबादी में गली गली चर्चा का दौर दिखाई दे रहा है, की आखिर कौन और कब इस मुद्दे पर आगे आकर दृढ़इ’छाशक्ति दिखाते हुए कार्रवाई की पहल करेगा। या फिर अंतत: न्यायपालिका के दखल के बाद ही प्रशासन की चेतना जाग्रत हो पाएगी। करे कोई, भरे कोई
नाम न छापने की शर्त पर कुछ पार्षदों ने बताया कि पूर्व में क्षेत्र के ही कुछ गणमान्यों ने ही अधिकतम अतिक्रमण किया और करवाया है। मात्र 2 फीसदी प्रभावशाली लोगों ने ही 90 फीसदी अतिक्रमण करवाकर क्षेत्र के हालात बिगाड़े है। रहनुमा भी इससे परिचित हैं, लेकिन राजनीतिक मजबूरियां इसे बर्दाश्त करने के काबिल बना रही है।
इनका कहना है
आज के हालात में अतिक्रमण बेहद संवेदनशील मुद्दा है। हम राजाखेड़ा को बर्बाद होता हुआ नही देख सकते। अतिक्रमी 100 से 200 हो सकते हैं, लेकिन पीडि़त 50000 है। कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। तेजसिंह, मनोनीत पार्षद कांग्रेस
अतिक्रमण दंडनीय अपराध है। विगत कुछ वर्षों में हुए स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण की सूची पालिका से तैयार करवाकर कार्रवाई करवाई जाएगी। बाजारों एवं आम जगहों पर हो रहे अतिक्रमण को प्रशासन की मदद से हटवाने के प्रयास करेंगे। जिससे जाम की समस्या से निजात मिल सके। गरीब हाथ ठेली वालों के लिए पृथक जगह दिलवाकर उन्हें बाजारों में प्रवेश से रोकेंगे। बिजेंद्र सिंह जादौन, पार्षद कांग्रेस
अतिक्रमण विकास का दुश्मन है। आगामी बैठक में इस पर प्रस्ताव लेकर आएंगे। पालिका अधिकारियों को भी इसपर कड़ा रुख अपनाना चाहिए। हम विधायक से भी इनको निर्देशित करवाने का प्रयास करेंगे।
सौम्या, पार्षद कांग्रेस
अतिक्रमण एक गहरी और बड़ी समस्या है। इसके चलते बाजारों का मूल स्वरूप सिकुड़ता जा रहा हैग लियों और सड़कों की हालत भी ऐसी ही है। चारों ओर अतिक्रमण का देत्य पांव पसारे है, जो दुर्घटनाओं का कारण है। मीरा देवी झा, मनोनीत पार्षद।
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