Ludhiana blast: जांच में नया एंगल,बर्खास्त पुलिसकर्मी ने दिया था विस्फोट को अंजाम!
लुधियाना कोर्ट में गुरुवार को हुए बम ब्लास्ट मामले में नया खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों और पंजाब पुलिस ने दावा किया है कि इस ब्लास्ट में जिस शख्स की मौत हुई, उसकी शिनाख्त 30 साल के गगनदीप सिंह के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि गगनदीप सिंह पहले पंजाब पुलिस में था, मगर दो साल पहले उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि अगस्त 2019 में गगनदीप सिंह लुधियाना के खन्ना सदर थाने में मुंशी था। तब उसके पास प्रतिबंधित मादक पदार्थ बरामद हुए थे। ड्रग माफियाओं से भी उसके लिंक सामने आए थे। इसके बाद उसे पंजाब पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया था।
पुलिस अधिकारियों की मानें तो गगनदीप सिंह ड्रग केस में दो साल जेल में भी रहा और बीते 8 सितंबर को वह रिहा हुआ था। पंजाब पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने उसके पास से 785 ग्राम हेरोइन बरामद की थी। पुलिस के मुताबिक, गगनदीप एक महिला के साथ मिलकर ड्रग तस्करी करता था। 11 अगस्त 2019 को पंजाब के मोहाली में उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में केस भी दर्ज किया गया था।
पिता का नाम अमरजीत सिंह
गगनदीप सिंह लुधियाना के खन्ना स्थित गुरुतेग बहादुर नगर का रहने वाला था। उसके पिता का नाम अमरजीत सिंह है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए को घटनास्थल से इंटरनेट चलाने में इस्तेमाल होने वाला डोंगल मिला। जांचकर्ताओं ने उसके सिम कार्ड से उस शख्स की पहचान की, जिसके शरीर के चिथड़े उड़ गए थे। शुक्रवार देर शाम एनआईए और पंजाब पुलिस की एक टीम ने खन्ना स्थित उसके गगनदीप के घर पर छापा मारा, लेकिन वह नहीं मिला।
हाथ पर था टैटू
इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में घटनास्थल पर मिले शव की शिनाख्त के लिए फोटो दिखाई, जिसे उसके परिजनों ने पहचान लिया। पुलिस के अनुसार, मृतक शख्स के हाथ पर धार्मिक चिन्ह खंडे का टैटू बना हुआ था। ऐसा ही चिन्ह गगनदीप के हाथ पर भी उसी जगह था। इसके अलावा मृतक शख्स की जेब से पुलिस को डोंगल और पांच सौ रुपए की एक नोट मिली थी।
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आतंकी संगठन बब्बर खालसा से लिंक
पुलिस के अनुसार, गगनदीप सिंह का खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा से लिंक भी सामने आ रहा है। जांच एजेंसियां इस बात की भी पड़ताल कर रही हैं कि जेल से बाहर आने के बाद किस-किस से उसकी मुलाकात हुई और वह कहां-कहां गया था। दरअसल, बब्बर खालसा आतंकी संगठन को पाकिस्तान में बैठा वाधवा सिंह बब्बर चलाता है। वाधवा 90 के दशक में भारत छोडक़र पाकिस्तान भाग गया था।
Source: National