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मुस्लिम-यादव का गठजोड़ के कारण गोपालपुर से लड़ना चाहते हैं अखिलेश

सर्दी के कारण उत्तर प्रदेश में गिरते पारे के बीच सियासी गर्मी उबाल मार रही है। नई दिल्ली से पूर्व सीएम अखिलेश यादव को चुनौती मिल रही है, तो लखनऊ से उस सपा उस चुनौती को स्वीकृति दे रही है। इस स्वीकृति ने पूर्वांचल के आजमगढ़ में एक नया कुरूक्षेत्र खड़ा कर दिया है। विधानसभा चुनाव के इस नए चुनावी कुरूक्षेत्र का नाम है—गोपालपुर। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की गोपालपुर विधानसभा अचानक बुधवार को सुर्खियों में आ गई। यूं तो आजमगढ़ में 10 विधानसभा सीट हैं लेकिन इस विधानसभा के खास समीकरण ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आकर्षित कर लिया है। उन्होंने यहीं से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। इस सीट पर आज तक भाजपा का अपना खाता भी नहीं खुला है। आखिर वह खास समीकरण क्या है। आइए जानते हैं-

गोपालपुर है सपा का माई समीकरण

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूं ही नहीं गोपालपुर सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। इस सीट पर सपा का सबसे बेहतरीन वोट बैंक माई काम करता है। इस सीट पर वाई यानी यादव मतदाता 64 हजार हैं। एम यानी मुस्लिम 41 हजार हैं। यही वजह है कि यह सीट सपा का अभेद किला बन जाती है। दलित मतदाता की बात करें तो यह संख्या 51 हजार है। यही वजह है कि सपा को यहां बसपा टक्कर देती है।

यादवों का है वर्चस्व

गोपालपुर सीट पर यादवों को वर्चस्व इतना रहा है कि भाजपा और बसपा भी यादव वर्ग से ही टिकट देती आई हैं। माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इसी माई समीकरण को ध्यान में रखते हुए अपने चुनाव के लिए चयनित किया है। पूर्वांचल के इस इलाके पर लंबे अरसे से एम-वाई (मुस्लिम-यादव) का समीकरण मजबूत रहा है।

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हवा के साथ चलते हैं सवर्ण

यादव और मुस्लिम बहुल्य इस सीट पर सवर्ण वोटर रूख के साथ पाला बदलते हैं। ब्राह्मण लगभग 15 हजार, क्षत्रिय 15 हजार, भूमिहार 12 हजार, लाला 03 हजार हैं। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग में राजभर लगभग 24 हजार, मल्लाह 11 हजार, कहार 1500, प्रजापति 10 हजार, चौरसिया 04 हजार, बनिया 23 हजार, चौहान 10 हजार, पासी 10 हजार, सोनकर 07 हजार हैं। इनके अलावा लगभग 17 हजार अन्य जातियां हैं।

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पांच में चार है सपा का स्ट्राइक रेट

गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का स्ट्राइक रेट पांच में 4 है। सपा ने इस विधानसभा में 4 बार अपना परचम लहराया और बसपा को एक बार जीत मिली है। 2017 में समाजवादी पार्टी से नफीस अहमद की जीत हुई थी और बसपा से कमला प्रसाद यादव को मिली थी। गठंबधंन के कारण कांग्रेस ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। 2012 में समाजवादी पार्टी के वसीम अहमद को जीत मिली थी। 2007 में बहुजन समाज पार्टी के श्याम नारायण ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2002 में सपा के वसीम अहमद ने बसपा के के रियाज खान को पटखनी दी थी।



Source: Lifestyle