मांगने के बाद भी नहीं मिले 45 करोड़,रुका शहर और कॉलोनियों का विकास
गुना। अवैध कॉलोनाइजरों ने अपनी निजी के साथ-साथ सरकारी, नदी-नाले की भूमि पर प्लाटिंग की, मनमाने दाम पर प्लॉट बेचे, लेकिन रहवासियों को सुविधा के नाम पर ठेंगा दिखाया। जिससे त्रस्त होकर रहवासियों ने कलेक्टर व नगर पालिका को शिकायत की। ऐसे कॉलोनाइजरों की सूची बनाई। लगभग 102 कॉलोनाइजरों से 45 करोड़ रुपया विकास शुल्क वसूले जाने की प्रक्रिया पूरी हुई। इस वसूली के पीछे प्रशासक व नपा के अधिकारियों का आशय यह था कि इस पैसे से शहर में कई विकास कार्य हो सकते हैं। इस संबंध में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश के खिलाफ कुछ कॉलोनाइजर हाईकोर्ट गए, जहां से ज्यादा राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट के आदेश पर नगर पालिका ने पुन: सुनवाई का मौका दिया, विकास शुल्क जमा करने के लिए नोटिस दिए, लेकिन राजनेताओं के पसंदीदा कॉलोनाइजरों ने विकास शुल्क जमा न कर अपनी मनमानी करते रहे। जिनके विरुद्ध प्रशासक एवं कलेक्टर के आदेश पर न्यायालय में ऐसे कॉलोनाइजरों के विरुद्ध परिवाद पत्र पेश किए, जिनकी सुनवाई शुरू हो गई है।
शुक्रवार को ऐसे परिवाद पत्र की सुनवाई कर सीजेएम की कोर्ट ने तीन कॉलोनाइजरों पुरुषोत्तम अग्रवाल पुत्र गोविन्द अग्रवाल निवासी सदर बाजार विकास शुल्क 4 लाख 80 हजार, सूरज शर्मा पुत्र हरनारायण शर्मा विकास शुल्क 18 लाख और चंदा देवी पत्नी प्रमोद चौरसिया विकास शुल्क 38 लाख 20 हजार रुपए के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज किए हैं। अपराधिक प्रकरण दर्ज होने की जानकारी नगर पालिका की और से नियुक्त अभिभाषक मनोज श्रीवास्तव ने दी, उन्होंने बताया कि अब आगे भी ऐसे दूसरे कॉलोनाइजरों के विरुद्ध परिवाद पत्रों की सुनवाई होकर अपराधिक प्रकरण दर्ज होते रहेंगे। अपराधिक प्रकरण दर्ज होने की खबर के बाद अवैध कॉलोनाइजरों में हड़कम्प मच गया है।
सूत्रों ने बताया कि सत्ता के नशे में चूर और राजनेताओं के नजदीकी कई कॉलोनाइजरों ने नगर पालिका में विकास शुल्क भी जमा नहीं किया। तत्कालीन कलेक्टर ने यहां की अवैध कॉलोनियों को लेकर कलेक्टर के रूप में कई कॉलोनाइजरों पर जुर्माना लगाया और कई अवैध भवनों को गिराने के आदेश दिए। कलेक्टर के इस आदेश के विरुद्ध तीस से अधिक कॉलोनाइजर कोर्ट चले गए, उन्होंने कलेक्टर के आदेश को चुनौती दी जिसमें कहा कि कॉलोनाइजरों के विरुद्ध जुर्माना लगाने का अधिकार नगर पालिका सीएमओ को है न कि कलेक्टर को याचिका में आग्रह किया कि कलेक्टर द्वारा कॉलोनाइजरों के विरुद्ध दिए गए आदेशों को निरस्त किया जाए। कोर्ट ने पिछले दिनों इन याचिकाओं की सुनवाई कर कलेक्टर द्वारा लगाए गए जुर्माना और तोडने संबंधी दिए आदेश को समाप्त किया और कहा कि नगर पालिका का सीएमओ कॉलोनाइजरों और प्लॉट धारकों को नोटिस देकर तलब करे और उनके द्वारा किए गए निर्माण आदि का असेसमेन्ट करे। इसके साथ ही कॉलोनाइजरों की याचिकाओं का निराकृत कर दिया है।
कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने शुरू की थी कार्रवाई
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जमीन घेरकर, बगैर डायवर्सन के कॉलोनी बनाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की कार्ययोजना बनी थी। बगैर डायवर्सन एवं बगैर अनुमति के कॉलोनी बनाने और कॉलोनी बनाने के समय दिखाए गए सपने पूरे न करने आदि को लेकर शिकायतें आने के बाद लगभग 89 कॉलोनाइजरों को प्रशासन ने चिन्हित किया था, तत्कालीन कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने एक टीम बनाकर ऐसे कॉलोनाइजरों के नामों की सूची बनाई थी, जिसमें गुना शहर और जिले भर के 89 कॉलोनाइजरों के नाम शामिल थे। जिन पर एफआईआर तक के आदेश हुए, लेकिन कागजों में ही यह आदेश कैद होकर रह गए थे। वर्तमान में कॉलोनाइजरों की संख्या 102 तक पहुंच गई।
फ्रेंक नोबल ने नकेल डालने के काम को बढ़ाया
भास्कर लाक्षाकार के बाद कलेक्टर बनकर आए कुमार पुरुषोत्तम ने कॉलोनाइजरों के विरुद्ध कार्रवाई की इस कार्रवाई को लेकर हड़कम्प सा मच गया था। कुछ कॉलोनाइजरों ने भोपाल और दिल्ली जाक अपने पसंदीदा नेताओं के यहां शरण ली और बचाने की गुहार लगाई। जिसके बाद भी यह कार्रवाई चलती रही, लेकिन इसी बीच कुमार पुरुषोत्तम का तबादला हो गया। इस प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव लाकर वर्तमान कलेक्टर फ्रेंक नोबल ने आगे बढ़ाया था। विकास शुल्क न मिलने के बाद नगर पालिका के सीएमओ तेजसिंह यादव ने अभिभाषक के जरिए न्यायालय में कई कॉलोनाइजरों पर परिवाद पत्र पेश किया था। अभी यह सिलसिला चल रहा है।
इन कॉलोनाइजरों से विकास शुल्क या जुर्माना वसूलने की राशि
हितेन्द्र कुमार शुक्ला-24.15000, रामचरण माथुर 11.85000, शिवनारायण कुशवाह 24,65000, अतुल जग्गी- 18.55000, मुकेश राठौर- 10.95000, हरिहर प्रताप सिंह 13,95000, प्रेमनारायण कुशवाह- 108000, दौलतराम कुशवाह- 17,80000, रामबाबू -20,30000. त्रिलोक चन्द्र गाधवानी- 11,85000, अमित रघुवंशी- 13,30000. शंकरलाल कुशवाह 17.10000, मुनेश धाकड 18.35000. भगवती प्रसाद 17.55000. शुभनारायण राजपूत 16,30000, संजय कुमार चौरसिया- 42.2000, बृजेश सिंह रघुवंशी-20,90000, दातार सिंह कुशवाह 7.85000, पदम कुमार जैन- 1000000, भानू प्रताप सिंह रघुवंशी-20.90000, कुन्नूलाल 2660000, विद्यादेवी जैन-50, 15000, नरेश राठौर- 8,70000, परमहंस राजपूत 6.35,000, पुरुषोत्तम अग्रवाल 4,80000, गौरव – 2,85000, शैलेष पाटनी-295000. कृष्णा लाम्या 86.80000, गोपाल कुशवाह 35,55000, रामप्रसाद कुशवाह 93 लाख, मृदुल शर्मा 91.27.500. अंकुर श्रीवास्तव हनुमान कॉलोनी- 8.35.000, अब्दुल सलीम 58.05000, चंदा देवी चौरसिया 38,20000, जरनेल सिंह 41.60.000, कुलदीप सलूजा-41.10.000, जसपाल सिंह गिल-33,60000, अमर कौर- 42,75,000 रुपए बकाया है।
इसी तरह वीरेन्द्र सिंह पर 73 लाख दस हजार, ओमप्रकाश राठौर- 1,54,25000, बृजेश राठौर 46,30000 रियाज हुसैन- 1,2100000, महावीर जैन- 2,700000, अभय शंकर राजपूत 52.25000, राकेश, मुकेश, शैलेश, सोनू पाटनी- 3,520000, फूलाबाई कुशवाह- 6,90000, दीवान सिंह जाटव- 7,80000, मुंशीलाल यादव-1000000 विनय सेंगर-52.20000, रवि बिरथरे- 38,60000. पवन- 60,65000, बलवीर सिंह सिख 40,60000, कल्याणी बाई यादव 96.30000 बिड्डी देवी राजपूत- 35,65000, शमशाद मोहम्मद- 10.00000, सुनील चौरसिया-21,75000 रामप्रसाद लोधा39, 15000, मीना देवी राठौर 4.95000, कमला देवी आदि 68,30000 यशवंत कुमार शर्मा 1000000 जशोदा बाई कुशवाह 6,95000, रानी जैन- 6,35,000 विनय शास्त्री 21.30000 हरिसिंह यादव 10.55000 सूरज शर्मा 18,00000 आशीष अग्रवाल 14,55000, महेन्द्र संधु- 22,75000. मनोज शर्मा- 18.80000, प्रदीप जैन- 92,45,000 हरप्रसाद-18,9000 हरिशंकर कुशवाह 19.30000, मधु गुप्ता 31 लाख 90 हजार चम्पालाल चौरसिया 46 लाख 90 हजार, शादुस्ता खान 33 लाख 40 हजार शैलेश पाटनी 58 लाख साठ हजार, संजय भार्गव 77 लाख 45 हजार नितेन्द्र कुमार शुक्ला 42 लाख 45 हजार रुपए आदि पर विकास शुल्क बकाया है। इनके अलावा नगर पालिका ने जिनको नोटिस भेजे थ उनमें बृजेश मेर, नूर हसन, रसीद खान, मुंशी, उत्तम कुमार, अमर कुमार, जतिन मेहता, वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी, सुरेश कुशवाह, अभिषेक, ओमप्रकाश आदि के भी नाम शामिल हैं।
नोट : कॉलोनाइजरों के नाम और राशि नगर पालिका के दस्तावेजों के अनुसार है।
कॉलोनाइजरों का दर्द : नपा अधिकारियों पर भी हो कार्रवाई
आधा दर्जन से अधिक कॉलोनाइजरों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अवैध कॉलोनी यदि बन रही है तो उसमें गलती हमारी के साथ उन अधिकारियों की नहीं है जिन पर अवैध कॉलोनी बनवाने पर रोक लगवाने की है। संबंधित नगर पालिका के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होना चाहिए। हम सब एक नम्बर में ही कॉलोनी बनाते हैं और बनाने को तैयार हैं कलेक्टर कॉलोनियों के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले अधिकारियों की एक समिति बना दें या एक विभाग को सारी जिम्मेदारी दे दी जाए। वही कॉलोनी निर्माण की पूरी कार्रवाई कराए। जिससे अवैध कॉलोनियों का निर्माण भी पूरी तरह बंद हो जाएगा और शासन को समय पर राजस्व भी मिलने लगेगा। गुना का जिल्द बंदोवस्त अभी तक नहीं हुआ जिससे अवैध कॉलोनी की समस्या अधिकतर समाप्त ही हो जाएगी।
Source: Science and Technology News