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Russia Ukraine Crisis: रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर UNSC में भारत ने खुद को अलग रखा, जानिए क्यों

रूस ने यूक्रेन में जंग छेड़ दी है और लगातार तीसरे दिन रूसी सैनिक यूक्रेन में कई इलाकों पर कब्जे कर रहे हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की “आक्रामकता” निंदा करने और सेना को वापस बुलाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था। सुरक्षा परिषद में पाँच स्थाई सदस्यों में रूस भी शामिल है। इस प्रस्ताव से भारत, चीन और यूएइ ने हिस्सा नहीं लिया। केवल 15 में से 11 देशों ने ही वोट किया जबकि रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया। इस प्रस्ताव पर भारत द्वारा हिस्सा न लिए जाने पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं जिसका अब भारत ने जवाब दिया है।

यूक्रेन पर हमले से चिंतित है भारत

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, “यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत काफी चिंतित है। हम अपील करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं।”

इस दौरान भारत ने राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का भी आह्वान किया। इसके साथ ही टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि इंसानों के जीवन की कीमत पर कोई हल नहीं निकल सकता है। भारत यूक्रेन से अपने छात्रों समेत सभी नागरिकों को सुरक्षित निकालने और उनके कल्याण के लिए काफी चिंतित हैं।

कूटनीतिक रास्ता अपनाने की आवश्यकता

टीएस त्रिमूर्ति ने आगे बताया कि, “सभी सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि ये ही आगे चल कर सही और निर्माणकारी रास्ता खोजने में मदद करेगा।” टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि ‘ये दुख की बात है कि कूटनीतिक रास्ता छोड़ दिया गया है, परंतु उसपर वापस अमल करने की आवश्यकता है जिससे हल निकल सकता है।’

बातचीत एक बेहतर विकल्प

सूत्रों के अनुसार भारत ने प्रस्ताव से दूरी बनाकर संवाद और कूटनीति को बढ़ावा देने के उद्देश्य को महत्व दिया है। ताकि वो दोनों पक्षों के बीच ब्रिज का काम कर सके और जल्द से जल्द हल निकालने में मदद मिल सके। भारत का मानना है कि बातचीत ही विवाद और मतभेद को खत्म करने का एकमात्र बेहतरीन विकल्प है।

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भारत के रुख के पीछे का हिस्ट्री कनेक्शन

रूस और भारत के संबंध प्रगाढ़ हैं, फिर भी जब भारत के समक्ष रूस और यूक्रेन के बीच किसी एक को चुनने की बात आई तो भारत ने संतुलित व्यवहार अपनाया। भारत के रुख से पूर्व यूक्रेन का भारत के प्रति पूर्व में क्या रुख रहा है उसे 3 बिंदुओं में समझते हैं।
1. वर्ष 1998 में भारत ने जब पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था तब यूक्रेन भी आलोचक देशों में शामिल था। UN में जब इसपर चर्चा हुई तो ये रूस था जिसने अपने वीटो का इस्तेमाल कर भारत का साथ दिया था। यूक्रेन ने भारत के परमाणु परीक्षण की बढ़-चढ़कर निंदा की थी।

2. भारत ने यूक्रेन को उसके 320 टी-80 टैंक पाकिस्तान को न देने के लिए भी कहा था क्योंकि पाकिस्तान आतंक परस्त देश है और वो भारत के खिलाफ इसका इस्तेमाल करेगा। फिर भी यूक्रेन ने 320 टी-80 टैंक पाकिस्तान को बेचे थे।

3. यूक्रेन ने कश्मीर मुद्दे पर भी संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ मतदान किया था, जबकि रूस ने भारत का खुलकर समर्थन किया था। आज पाकिस्तान यूक्रेन पर हुए हमले के बावजूद रूस के दौरे पर चला गया।

वर्तमान में देखें तो यूक्रेन के व्यवहार के बावजूद भारत ने मुश्किल स्थिति में उसका साथ नहीं छोड़ा, जबकि EU भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा केवल निंदा और बैन तक ही सीमित है। व्यापार की बात करें तो भारत यूक्रेन के साथ करीब 2.8 अरब डॉलर का कारोबार करता है। वहीं, कई मुद्दों पर भारत के प्रति यूक्रेन के स्टैन्ड की बात करें तो उसने भारत का साथ न के बराबर दिया है। इन सबके बावजूद भारत का व्यवहार संतुलित है और प्रस्ताव पर अपने रुख को भी उसने विस्तार से समझाया है।



Source: National